Book Title: Uttaradhyayan Sutra Part 01
Author(s): Tattvaprabhvijay
Publisher: Jinprabhsuri Granthmala

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Page 133
________________ उच्चोदए महुकक्के अ बंभे, पवेइआ आवसहा य रम्मा । इमं गिहं चित्तधणप्पभूअं, पसाहि पंचालगुणोववेअं ।।१३।। उच्चोदयो मधुः कर्कः च ब्रह्मा, प्रवेदिता आवसथाश्च रम्या | इदं गृहं चित्रधनप्रभूतं, प्रशाधि पाञ्चालगुणोपपेतम् ।।१३।। नटेहिं गीएहिं अ वाइएहिं, - नारीजणाई परिवारयंतो | भुंजाहि भोगाई इमाइं भिक्खु, मम रोअइ पब्वज्जा हु दुक्खं ।।१४।। नृत्यैर्गीतैश्च वादित्रैः, नारीजनात् परिवारयन् । भुक्ष्व भोगानिमान् भिक्षो ! मह्यं रोचते प्रव्रज्या हु दुःखम् ।।१४।। तं पुवनेहेण कयाणुरागं, नराहिवं कामगुणेसु गिद्धं । धम्मस्सिओ तस्य हि आणुपेहि, चित्तो इमं वयणमुदाहरित्था ।।१५।। १२४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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