Book Title: Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Vinitpragnashreeji
Publisher: Chandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust

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Page 657
________________ "५६२ विचलित हो रही है, ऋतुयें परिवर्तित हो रही है । भयंकर गर्मी पड़ रही है । कहीं . अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि हो रही है । प्रश्न है कि ओजोन परत में छेद का . कारण क्या है ? आज विद्युत् संचालित साधनों के अत्यधिक उपयोग ने प्रकृति की व्यवस्था को . विचलित किया है । एक सम्पन्न व्यक्ति को घर, ऑफिस, कार, फैक्ट्री, औद्योगिक संस्थानों, आदि सभी में वातानुकूलित सुविधा (एयरकण्डीशन) चाहिये । वैज्ञानिकों का . कहना है कि विद्युत् संचालित साधनों के उपयोग से ऐसा वातावरण बनता है जो ओजोन परत को प्रभावित करता है, वायु को विषाक्त बनाता है । पर्यावरण को प्रदूषित करता है। मानव को प्रकृति के साथ संतुलन बनाये रखना चाहिये । इसके लिये इन चार बातों पर ध्यान देना होगा: 1. प्रकृति का पोषण . 2. प्रकृति का दोहन 3. प्रकृति का प्रदूषण 4. प्रकृति का शोषण __ हमारा व्यवहार प्रकृति के साथ पोषण एवं दोहन का होना चाहिये; प्रदूषण एवं शोषण का नहीं । दोहन एवं शोषण में बुनियादी अन्तर है । व्यक्ति गाय पालता है उसका दोहन करता है पर उसका पोषण किये बिना दोहन नहीं करता या इस हद तक नहीं करता कि गाय के प्राण ही निकल जायें । यदि ऐसा है तो वह दोहन नहीं शोषण है । दोहन में पहली शर्त पोषण की है । प्रकृति के सन्दर्भ में देखा जाय तो आज इसका पोषण एवं दोहन नहीं वरन् प्रदूषण एवं शोषण हो रहा है ।) वर्तमान में हमारी प्राकृतिक सम्पदा प्रदूषित, शोषित हो रही है । वन-उपवन वीरान होते जा रहे हैं, पेड़-पौधे गिराये जा रहे हैं । पहाड़ पहाड़िया मिटाये जा रहे हैं, नदी-तालाब सूखाये जा रहे हैं । जल, वायु तथा वातावरण को प्रदूषित किया जा रहा है । पशुधन, नष्ट होता जा रहा है । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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