Book Title: Uttaradhyayan Sutra
Author(s): Vinitpragnashreeji
Publisher: Chandraprabhu Maharaj Juna Jain Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 674
________________ औपपातिकसूत्र सं. श्री मधुकर मुनि कर्मविपाक (कर्म ग्रन्थ) साध्वी हर्षगुणाश्रीजी कर्मवाद कर्म नो सिद्धान्त युवाचार्य महाप्रज्ञ श्री हीराभाई ठक्करे कर्मग्रन्य (भाग -६) अनु. पं. सुखलालजी संघवी कल्पसूत्र भद्रबाहु गोम्मटसार श्री नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती / जैन दर्शन में आचार-मीमांसा. मुनि नथमल जैन दर्शन में आत्मविचार डॉ. लालचन्द जैन श्री आगम प्रकाशन समिति सन् १६६२ ई. श्री ब्रज-मधुकर स्मृति भवन पीपलिया बाजार, ब्यावर(राज.) सरस्वती पुस्तक भण्डार वि. सं. २०५१ हाथीखाना, रतनपोल, अहमदाबाद आदर्श साहित्य संघ चूरु(राज.) सन् १९८५ कांतिलाल दाहाभाई पटेल मंगल मुद्रणालय रतनपुरपोल, फतेहभाहिनी हवेली, अहमदाबाद श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन ई. सन १६७४ धार्मिक शिक्षा समिति बड़ोत (मेरठ) खरतरगच्छार्य श्री जिनरंगसूरि महाराज, पोषाल ट्रस्ट, कलकत्ता श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल सन् १९७२ (श्रीमद् राजचन्द्र जैन शास्त्रमाला) अगास सेठ मन्नालालजी सुराना आषाढ़ सं. २०१७ मेमोरियल ट्रस्ट ८१, सदर्न एवेन्यू कलकत्ता पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध सन् १६५४ संस्थान काशी हिन्दु विश्वविद्यालय आई.टी.आई. रोड़ वाराणसी मुनि श्री हजारीमल स्मृति ई. सन् १६५२ प्रकाशन पीपलिया बाजार, ब्यावर श्री तारक जैन गुरू ग्रन्थालय ई. सन् १९८२ शास्त्री सर्कल उदयपुर (राज.) पूज्य सोहनलाल स्मारक सन् १९६३ पार्श्वनाथ शोधपीठ आई.टी.आई. रोड़, करौंदी, .. वाराणीसी भारतीय ज्ञानपीठ प्रधान कार्यालय : १८ लोदी रोड़, नयी दिल्ली श्री तारक गुरू जैन ग्रन्थालय सन् १९७५ शास्त्री सर्कल, उदयपुर (राज.) सेठ मन्नालालजी सुराना आ. सं. २०१७ मेमोरियल ट्रस्ट ५१, सदर्न एवेन्यू कलकत्ता जैन योग ग्रन्थ चतुष्टम् आचार्य श्री हरिभद्र सूरि 5- जैन आचार सिद्धान्त और स्वरूप देवेन्द्र मुनि शास्त्री जैन कर्म सिद्धान्त उद्भव एवं विकास डॉ. रवीन्द्रनाथ मिश्र . जिनेन्द्र वर्णी सन् १६४४ - जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (भाग १-४) जैन दर्शन स्वरूप और विश्लेषण देवेन्द्र मुनि, शास्त्री जैन दर्शन में तत्त्वमीमांसा मुनि नथमल Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682