________________
२११३०२५१-६० २२।२।१११-११६
२२।२।९१-९६ २१।३।२३५-२४३ २०।३।१५३-१५६
२२।११७३-७८
५३. सुरेन्द्र वर्मा- . जैन दर्शन में शांति की अवधारणा
• आयारो में हिंसा-अहिंसा विवेक ५४. सुरेश कुमार जैन- ० जैनधर्म और पर्यावरण ५५. सोहनलाल पटनी--- ० ॐ नमः सिद्धम् ५६. सोहनलाल पुरोहित- • जैन धर्म में रथयात्रा महोत्सव ५७. संजय कुमार - • बौद्ध दर्शन में स्मृति प्रस्थानों का महत्त्व ५८. हरिशंकर पाण्डेय-- ० श्री मज्जयाचार्य विरचित चौबीसी
___एक अनुशीलन ० श्री मद्भागवतीय आख्यानों का
विवेचन • महाकवि महाप्रज्ञ का जीवन दर्शन ० उपनिषद् और आचारांग • णायकुमारचरिउ का नायक • उपनिषदों और जैन दर्शन में
आत्म स्वरूप चिंतन
२०११-२।९५-१०६
२०१३।२१७-२२४ २०१४।२७३-२८७ २११२।१३५-१५० २२।३।२३१-२३६
२२।४।३१५-२३
| साधु-साध्वी-समणी वृन्द
५९. मुनि कामकुमार नन्वी- श्रुत परम्परा
२०१३।१९३-९६ ६०. मुनि गुलाब चन्द निर्मोही- तेरापन्थ में प्राकृत साहित्य का
उद्भव और विकास
२०१३।१७७-९२ • मनः पर्याय ज्ञान भी संभव है २२।३।१६१-१७०
• काव्य के तत्त्व और परिभाषाएं २२।४।२९५-३०२ ६१. मुनि धर्मश-० कर्मबंध-एक जैव मनोवैज्ञानिक विश्लेषण २४।२३-२८ ६२. मुनि महेन्द्रकुमार- जागतिक नियमों के संदर्भ में कर्मवाद २१।४।३३-३८ ६३. मुनि श्री चंद 'कमल'- पंच संधि की जोड़
२१।२।१५९-१८० • वनस्पतियों में जीवेन्द्रिय संज्ञान २२।३।११७-२० ६४. मुनि सुखलाल-० कर्म और जैनेटिक संरचना
२१।४।२९-३२ ० श्रुतज्ञान-एक मीमांसा
२२।३।१९१-९४ ६५. साध्वी श्री जतनकुमारी 'कनिष्ठा'-- • ओघनियुक्ति में उपधि २१:३।२४५-५० ६६. साध्वी मुक्ति यशा-- ० हां ! कर्म बदला जा सकता है। २११४।४३-५० ६७. साध्वी विश्रुत यशा-० जिनकल्प की समाचारी
२२।३।२११-१६
तुलसी प्रचा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org