Book Title: Tulsi Prajna 1996 01
Author(s): Parmeshwar Solanki
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 233
________________ १३. कमला पंत - ० भर्तृहरि और उनका विज्ञान शतक १४. कुमुद सिन्हा - • गांधीजी की शिक्षा में मूल्यपरक तत्त्व १५. कुमुदनाथ झा - ० जैन दर्शन का अपरिग्रहवाद १६. कमलेश कुमार छः चोकिया १७. के. आर. चन्द्र १८. जयचन्द्र शर्मा १९. जयश्री रावल २०. जिनेन्द्र जैन णमोकार महामंत्र सांगीतिक चिन्तन ● 'आषाढ़ का एक दिन' का कालिदास • भगवती आराधना के संदर्भ में मरण का ० Jain Education International • 'अविमारकम्' में प्रयुक्त प्राकृत अव्यय पद ● 'प्रवचनसार' में छन्द की दृष्टि से पाठों का संशोधन -- २१. जे. एन. जोशी २२. दिनेश चन्द्र चौबीसा o स्वरूप कर्म बंध और जैन दर्शन २३. दयानंद भार्गव - ---- भर्तृहरि और उनका विज्ञान शतक • अभिज्ञान शाकुन्तल में गान्धर्व विवाह : एक समस्या कर्म सिद्धान्त के कतिपय सर्वमान्य पहलू o o जैन तथा सांख्य दर्शनों में संज्ञान O २७. परमेश्वर सोलंकी २४. निर्मल कुमार तिवारी२५. निर्मला चोरड़िया२६. नंदलाल जैन O • कर्म और कर्मबन्ध कुन्द कुन्द की दृष्टि में आगम का स्वरूप जैन कर्मवाद : वैज्ञानिक मूल्यांकन ० ० जीव की परिभाषा और अकलंक ० स्थानांग - आगम ० जैन साहित्य एवं इतिहास लेखन • ऋग्वेद की मन्त्र - संख्या o मनुस्मृति और उसका कर्मफल सिद्धान्त • आदि शाब्दिक और पारंपरीय प्राकृत • तुलसी प्रज्ञा के अद्यावधि प्रकाशित पूर्णांक • त्रैवार्षिकी लेख सूची मानतुंग : भक्तामर स्तोत्र • जैन दर्शन में लेश्या - एक विवेचन २८. प्रकाशचन्द्र जैन --० २९. प्रद्युम्न शाह सिंह ३०. प्रबोध बे. पंडित-० प्राकृत के प्राचीन बोली विभाग For Private & Personal Use Only २०११-२१६१-७३ २०।४।३३५-३४१ २०।३।१६५-१६९ २२।१।२९-३६ २२।३।२०५-२१० २२।१।३७-४२ २२।२।१५५-१५८ २०११-२।२९-३५ २२।४।२४३-५० २०११-२।६१-७३ २०११-२।५५-५९ २१।४।०९-१२ २१।१२७-३१ २०।४।२६१-२६४ २०११-२१०९-२० २१1१1०१-१० २१४।१३-२२ २२।४।२७५-८५ २०११-२।११५-१२८ २०।४।३२७-३३४ २१।४।३९-४२ २२।१।७९-८७ २०।१-२।१४९-१५२ २२/४/१-१३ २१२१२१-१२६ २०१४/२८९-२९८ २२।११४३-६० तुलसी प्रचा www.jainelibrary.org

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