Book Title: Tulsi Prajna 1979 02
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 177
________________ होती रही हैं । मुनिश्री नथमल जी का महत्त्व प्रारंभ से ही था । सचमुच हम सबकी इच्छा को आचार्यप्रवर ने पूर्ण किया है। मैं आचार्यप्रवर को साधुवाद देता हूं तथा युवाचार्य जी का अभिनन्दन करता हूं । प्रो० महावीरसिंह मुडिया उदयपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर महावीर सिंह मुडिया ने कहा- -आज का यह समारोह आनन्ददायक है । हम किन शब्दों में मुनिश्री की प्रशस्ति करें, हमारे पास शब्द नहीं है । आचार्यश्री तुलसी का यह निर्णय सर्वश्रेष्ठ निर्णय है । इससे आचार्यप्रवर की दूरदर्शिता उजागर हुई है । आचार्यश्री ने महाप्रज्ञ जी को अपना उत्तराधिकार सौंप कर संघ का ही गौरव नहीं बढ़ाया है, स्वयं आचार्यप्रवर भी गौरवान्वित हुए है । आपने आगे कहा- मुनिश्री नथमल जी हर दृष्टि से सक्षम हैं । हर व्यक्ति में हर विशेषता नहीं पाई जाती, पर मुनिश्री में एक से एक बढ़कर विशेषताएँ मौजूद हैं। मुझे अनेक बार जैन विश्व भारती द्वारा समायोजित जैन विद्या परिषद् में भाग लेने के अवसर उपलब्ध हुए हैं । उस समय मैंने देखा है मुनिश्री की विद्वता को । वे किस प्रकार से हर विषय की व्याख्या प्रस्तुत करते थे । जब-जब भी समस्या का समाधान नहीं होता, तब सब विद्वानों का ध्यान मुनिश्री नथमल जी की ओर चला जाता । मुनिश्री हर प्रश्न को समाहित कर विद्वानों को प्रभावित करते । सन् ७५ में राजस्थान - विश्वविद्यालय में मुनिश्री के जैन न्याय पर आठ प्रवचन हुए । मुनिश्री के उन प्रवचनों से बौद्धिक जनता बहुत प्रभावित हुई और सभी ने मुक्त कण्ठ से मुनिश्री के वक्तव्य एवं विद्वता की भूरी-भूरी प्रशंसा की । आपके निर्वाचन से धर्मसंघ की ही प्रतिष्ठा नहीं बढ़ी है, बल्कि यों कहना चाहिए विद्वानों की प्रतिष्ठा बढ़ी है । मुनिश्री अहंकार से दूर रह कर साधना की ज्योति को प्रज्वलित करते रहे हैं । मैं इस अवसर पर मुनिश्री का हार्दिक अभिनन्दन करता हूं । प्रो० भेरूलाल धाकड़ तुलसी निकेतन के प्राण एवं अनेक संस्थाओं के पदाधिकारी प्रोफेसर भेरूलाल धाकड़ ने कहा - प्रशस्ति और पूजा में मेरा विश्वास नहीं है । यह दिन न प्रशस्ति का है न पूजा का । आज का दिन यथार्थ का दिन है और हम यथार्थ का अभिनन्दन कर रहे हैं । मैं इस अवसर को धर्मसंघ और मानव समाज के कल्याण का दिन मानता हूं । आचार्यप्रवर ने दायित्वपूर्ण एवं बोझिल गठरी को सक्षम कंधों पर डाला है यह अभिनन्दनीय है । सत्ता का मिलना कठिन नहीं है, पर सरस्वती का मिलना कठिन है । मुनिश्री सचमुच सरस्वती के वरद् पुत्र हैं । मुनिश्री ने अपने आपको संघ के हित में खपाया है, वे अहंकार रहित व्यक्तित्व धनी हैं । श्री मानसिंह व अणुव्रत समिति, बम्बई के अध्यक्ष तथा तेरापंथ समाज के वरिष्ठ कार्यकर्त्ता श्री मानसिंह वैद ने अभिनन्दन करते हुए कहा – मुनिश्री नथमल जी अनेक विशेषताओं के धनी हैं पर मेरी दृष्टि में सबसे बड़ी विशेषता है मुनिश्री की सरलता, ऋजुता तथा आचार तुलसी प्रज्ञा ४७७

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