Book Title: Tulsi Prajna 1979 02
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 197
________________ जैन विश्व भारती : प्रवृत्ति एवं प्रगति जैन विश्व भारती के सभी विभाग निरन्तर प्रगतिशील हैं । गताङ्क से आगे संक्षिप्त जानकारी इस प्रकार हैशोध विभाग शोध विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं को मूर्त रूप देने का उपक्रम चालू है । १. जैन विश्वकोश---प्रस्तावित जैन विश्वकोश का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। सम्प्रति कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा निकलने वाली शोध-पत्रिका (Research Journal) 'प्राचीन ज्योति' से जैन धर्म-दर्शन, साहित्य, इतिहास, संस्कृति आदि से सम्बन्धित लगभग पाँच सौ शोध-लेखों का सूचीकरण किया जा चुका है। __ शोध-निदेशक डॉ० नथमल टाटिया ने 'अनेकान्त' पर एक खोजपूर्ण लेख लिखा है, जो जैन विश्वकोश में लिखे जाने वाले शोध-लेखों में सर्वप्रथम है । यह लेख पत्रिका के इसी अंक के आंग्ल खण्ड में प्रकाशित किया जा रहा है । २. जैन आगमकोश-युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ के निर्देशन में जैन आगमकोश का कार्य चल रहा है। ३. अनुवाद--(i) अणुव्रत अनुशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री तुलसी द्वारा संस्कृत में लिखित "शिक्षा षण्णवति" एवं “कर्तव्यषट्त्रिंशिका" नामक कृतियों का अंग्रेजी अनुवाद श्री रामस्वरूप सोनी द्वारा सम्पन्न किया जा चुका है और अब उसका वाचन एवं संशोधन ब्राह्मी विद्यापीठ के नव नियुक्त प्राचार्य श्री डी० सी० शर्मा कर रहे हैं। (ii) अर्हत वन्दना का अंग्रेजी अनुवाद शोध निदेशक डॉ० नथमल टाटिया द्वारा सम्पन्न हो चुका है। शिक्षा विभाग ब्राह्मी विद्यापीठ के प्राचार्य के रूप में अनुभवी वयोवृद्ध विद्वान् श्री डी० सी० शर्मा की नियुक्ति की गई है । श्री शर्मा इससे पूर्व पंजाब के ग० मे० कालेज में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं पंजाब के सरकारी-गैरसरकारी कालेजों के प्रिन्सिपल रहे हैं। विद्यापीठ इनके मार्ग-दर्शन एवं व्यवस्था क्रम से उत्तरोत्तर विकसित होगा, ऐसा विश्वास है। २६ जनवरी १९७६ को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में ब्राह्मी विद्यापीठ की ओर से एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें झण्डाभिवादन एवं राष्ट्रगान के पश्चात एक खण्ड ४, अंक ७-८ ४६७

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