Book Title: Tulsi Prajna 1979 02
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 189
________________ ने शराब का त्याग किया तथा व्यसनों से दूर रहने का निश्चय किया । सायंकाल एवं मध्याह्नकाल में टेप सुनाने का कार्यक्रम चला । २५-२-७६ बहल रात्रि में ८-३० बजे श्री तुलसीराम जी सरपंच की अध्यक्षता में एक विशाल जनसभा का आयोजन हुआ जिसमें लगभग ५ सौ स्त्री-पुरुषों ने भाग लिया । सभा-संयोजन मुनिश्री किसनलाल जी के द्वारा किया गया । पारमार्थिक शिक्षण संस्था की बहिनों द्वारा मंगलाचरण, कवितापाठ, गीतिकायें एवं शराफत का नुश्खा तथा भारतीय संस्कार निर्माण समिति की ओर से बालकलाकारों द्वारा गीत, सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे गये । मुनिश्री चौथमल जी के भजनों ने सभी को मन्त्रमुग्ध कर लिया । श्री मोहनलाल जी दशानी संस्कार निर्माण समिति ने शराबबन्दी पर अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर सरपंच महोदय ने आचार्यप्रवर का भावभीना स्वागत किया - इस गाँव में आचार्यप्रवर पहले पधार चुके हैं। यह हमारे सौभाग्य की बात है । आचार्यश्री ने अणुव्रतों का वह सन्देश दिया है जिससे सारी मानवता लाभान्वित हो रही है । आप कई मानें में इन्सानियत का पाठ पढ़ा रहे हैं । संस्कार निर्माण समिति के द्वारा आचार्यश्री के सान्निध्य में गाँव-गाँव में बुराइयों व व्यसनों को दूर कराने का प्रयास कराया जा रहा है जो बहुत बड़ा काम है । आप जो लोग सब यहाँ उपस्थित हैं वे यह निश्चय करें कि हम शराब नहीं पीयेंगे, इस बुराई से दूर रहेंगे। तभी गुरुदेव का सच्चा अभिनन्दन होगा | आचार्य प्रवर ने इस अवसर पर -- 'दो दिन की जिन्दगी में क्यों तू बन रहा दिवाना भारी शरमिंदगी में क्यों है तू मद मस्ताना ।' - यह गीत सभी को सामूहिक रूप से उच्चारित कराकर अपने मङ्गल विचार में बताया कि आपके गाँव में काफी वर्षों के बाद आज सारे संघ के साथ आये हैं । हम वर्षों से घूम रहे हैं । पच्चास हजार मील हम घूम चुके हैं। सारे देश की पदयात्रा कर चुके हैं । तथा यह अनुभव किया कि आज देश में इन्सानों की जरूरत है, अतः भाईयो ! सही माने में इन्सान बनना हो तो खान-पान, रहन-सहन, बात-चीत, व्यवहार में संयम को स्वीकार करो। शराब, तम्बाकू, गाँजा, सुल्फा, अमल, बीड़ी आदि से दूर रहो। हम दिल्ली व पंजाब की ओर जा रहे हैं । हमारा लक्ष्य आप लोगों को बुराइयों से होने वाली हानियाँ बताना है । आप लोगों को इनसे बचना है । आप लोग चिन्तन करें, अ र हम सही बात कर रहे हैं तो निश्चय करो कि - हम इन्सान बनेंगे, शराब कभी नहीं पीयेंगे । दारुखोरों का संग नहीं करेंगे । बहनें निश्चय करो हम अपने घरों में दारु नहीं पीने देंगी । हमारी इच्छा यही है आप मनुष्य बनें | इस अवसर पर 'नीडम्' के प्रतिनिधि के द्वारा जैन विश्व भारती, की प्रवृत्तियों का खण्ड ४, अंक ७-८ ४८६

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