Book Title: Tirth Darshan Part 1 Author(s): Mahavir Jain Kalyan Sangh Chennai Publisher: Mahavir Jain Kalyan Sangh ChennaiPage 16
________________ 6 तीर्थ-स्थानों पर संसारिक चर्चाओं का यथा-संभव त्याग करें तो आप अपूर्व शान्ति का अनुभव करेंगे । 7 यात्रा का समय दिवाली के पश्चात् चैत्र तक ऋतु की दृष्टि से उत्तम है । वर्षा ऋतु में भ्रमण में कठिनाई पड़ सकती है । अगर सुविधापूर्वक तीर्थ स्थान तक पहुँच सकें तो हर ऋतु उत्तम है ।। 8 लम्बी दूर का रास्ता रेल से पार करके वहाँ आस पास के तीर्थों की यात्रा बस या टैक्सी द्वारा करें तो सुगमता होगी व अधिक स्थानों की यात्रा हो सकेगी । तीर्थ स्थानों के बने हुए नियमों का पालन करें ताकि हम आशातना से बचते हुए यात्रा का प्रतिफल पा सकेंगे । 10 हर वर्ष किसी तीर्थ की यात्रा अवश्य करें । उसमें भी अगर हर वर्ष अलग-अलग दिशा में जायेंगे तो धीरे-धीरे सभी तीर्थों की यात्रा हो जायेगी । 11 स्पेशल बस द्वारा लम्बी यात्रा करनेवाले यात्री ध्यान रखें कि बस एक दिन में लगभग 250 कि. मी. से अधिक रास्ता तय नहीं कर सकती । उसी प्रकार से अपना मार्ग निश्चित करें । पहले, तीर्थ व अन्य स्थानों पर पत्र व्यवहार कर लें । रसोई का साधन अपने साथ रखें, अन्यथा मार्ग में कठिनाई होगी। आभार प्रदर्शन : मैं परमपूज्य आबू के महान योगीराज जगद्गुरु आचार्य सम्राट विजय श्री शान्तिसूरीश्वरजी का अत्यन्त आभारी हूँ जिनकी अदृश्य प्रेरणा से ही इतना विशाल कार्य उठाया व उनकी असीम कृपा व अलौकिक अदृश्य शक्ति से यह कार्य सम्पन्न हो सका । इनका आशीर्वाद ही संस्था के प्रगति का कारण है जो हम प्रत्यक्ष रूप में अनुभव करते आ रहे हैं । हमारे भूतपूर्व अध्यक्ष स्व. श्री जतनलालजी डागा का मैं आभारी हूँ जिन्होंने, संस्था की स्थापना के समय से अपने अंत समय तक मुझे हर कार्य में उत्साहित करते हुए मार्गदर्शन दिया । इस ग्रंथ के कार्य में भी आप मुझे मार्ग दर्शन देते रहे जिसके कारण कठिनाईयाँ सुलभ होती गई । मैं स्व. स्वामीजी श्री रिषबदासजी, श्री मिलापचन्दजी ढहा, श्री बहादुरसिंहजी बोथरा, श्री चम्पालालजी मरलेचा को भी आभार प्रदर्शन करता हूँ जिन्होंने इस कार्य में अति उत्साह के साथ भाग लिया था । स्व. शेठ श्री कस्तूरभाई, साहू श्री शान्तिप्रसादजी जैन, श्री सम्पतलालजी कोचर का भी मैं अत्यन्त आभारी हूँ, जिन्होंने इस कार्य में अपने अमुल्य अनुभवों से मार्ग दर्शन दिया है । हमारे अध्यक्ष श्री मानकचन्दजी बेताला का मैं आभारी हूँ जो अपने अमूल्य अनुभवों से मार्ग-दर्शन देते आ रहे हैं । संघ के सभी सदस्यों, संस्मृति ग्रंथ समिति के मंत्री श्री लालचन्दजी जैन उपसमितियों के मंत्री श्री कपूरचन्दजी जैन, प्रकाशमलजी समदड़िया, केशरीमलजी सेठिया, पुखराजजी जैन, सायरचन्दजी नाहर, आर. के. जैन, आर. नागस्वामी व अन्य सदस्यों द्वारा प्रदान किये गये सहयोग के लिये हार्दिक धन्यवाद देता हूँ । माननीय सहायक महोदयों का मैं विशेष आभारी हूँ जिन्होंने कार्य के प्रारंभ में सहायता देकर उत्साह बढ़ाया है अतः उन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। फोटोग्राफी डेलीगेशन के सदस्यों श्रीमान जीवनचन्दजी समदड़िया, सम्पतलालजी झाबख, आसकरणजी गोलेछा, ताराचन्दजी छजलाणी व गेनमलजी संचेती का मैं अत्यन्त आभारी हूँ जिन्होंने अपना 141 दिनों का अमूल्य समय निकालकर फोटोग्राफी के समय मेरे साथ रह कर सहयोग प्रदान किया है । फोटोग्राफी के लिए दुबारा जाते समय सादड़ी के प्रेस फोटोग्राफर श्री कांतिलालजी रांका ने अपने केमरों आदि सहित साथ रहकर निःस्वार्थ सेवा की है । अतः इन सबको मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूँ । तमाम पेढ़ी के व्यवस्थापकों को भी बारंबार धन्यवाद देता हूँ जिनके पूर्ण सहयोग से ही यह कार्य सुगमता पूर्वक सुन्दर ढंग से पूर्ण हो सका । श्री जयसिंगजी श्रीमाल, श्री कान्तिभाई शाह, श्री गेनमलजी संचेती, श्री भीखमचन्दजी वैद व हंसराजजी लूणिया का मैं अत्यन्त आभारी हूँ जिन्होंने विवरण गठन करने व अन्य कार्यों में निरन्तर अपना समय निकाल कर पूर्ण सहयोग प्रदान किया है । अतः मैं इन्हें हार्दिक धन्यवाद देता हूँ ।Page Navigation
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