Book Title: Tilakmanjari Me Kavya Saundarya
Author(s): Vijay Garg
Publisher: Bharatiya Vidya Prakashan2017

View full book text
Previous | Next

Page 248
________________ 224 तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य यथार्थाभिधाना नगरी । पृ. 11 यहाँ अयोध्या नगरी के सौन्दर्य का वर्णन किया गया है। अयोध्या नगरी इतनी सुन्दर है मानों उसके महलों को स्वर्गलोक के हजारों शिल्पियों ने बनाया है, मानों हजारों ब्रह्माओं ने उसके निवासियों की सृष्टि की है, मानों हजारों लक्ष्मियों द्वारा व्याप्त गृहोंवाली है, मानों हजारों देवताओं द्वारा अधिष्ठित प्रदेशों वाली है, मानों जैन शासन व्यवस्था के वणिकों के वस्तुदानादि व्यवहार से आकृष्ट लोगों वाली है, पाताल (अस्ताचल) को जाने के इच्छुक सूर्य के रथ चक्र के भ्रमण के समान, गहरे कूपों के रहटों की ध्वनि से मुखरित, सभी आश्चर्यजनक वस्तुओं की निधिभूत, कौशलदेश के उत्तर खण्ड के मध्य अयोध्या नाम की यथार्थ नाम वाली नगरी है। यस्य च प्रताप एव वसुधामसाधयत्परिकर एव सैन्यनायकाः, महिमैव राजकमनामयन्नीतिः प्रतिहाराः, सौभाग्यमेव अन्तःपुरमरक्षत्स्थितिः स्थापत्याः, आकार एव प्रभुतां शशंस परिच्छदश्छत्रचामरग्राहाः, तेज एव दुष्टप्रसरं रुरोध राज्याङ्गमङ्गरक्षा, आजैवान्यायं न्यषेधयद्धर्मो धर्मस्थेयाः । पृ. 14-15 धनपाल मेघवाहन के गुणों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं - मेघवाहन का तेज ही पृथ्वी को वश में रखता था, सेनापति उसके परिवार मात्र थे। उसकी महिमा ही राजसमूह को झुकाती थी, द्वारपाल तो शासन पद्धति के कारण थे। उसका असाधारण सौन्दर्य ही अन्तःपुर की स्त्रियों को अन्य पुरुषों के सम्पर्क से रोकता था, अन्तःपुर के बाह्य रक्षक तो अन्त:पुर की मर्यादा मात्र के लिए थे। उसका आकार ही पृथ्वी पर उसके आधिपत्य को सूचित करता था, छत्रचामरधारी उसके परिवार मात्र थे। उसका तेज ही दुष्टों के प्रसार को अवरुद्ध करता था, अङ्गरक्षक तो राज्य के अङ्ग मात्र थे। उसका शुसासन ही नीति विरुद्ध प्रवृत्ति को रोकता था, धर्माधिकारी राजधर्म पालन के लिए ही थे। __ यथा न धर्मः सीदति यथा नार्थः क्षयं व्रजति यथा न राजलक्ष्मीरुन्मनायते यथा न कीर्तिर्मन्दायते यथा न प्रतापो निर्वाति यथा न गुणाः श्यामायन्ते यथा न श्रुतमुपहस्यते यथा न परिजनो विरज्यते यथा न मित्रवर्गो म्लायति यथा न शत्रवस्तरलायन्ते तथा सर्वमन्वतिष्ठत्। पृ. 19 मेघवाहन यशस्वी, वीर तथा प्रजापालक राजा था। वह सभी कर्मों को इस

Loading...

Page Navigation
1 ... 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272