Book Title: Tattvartha Sutram
Author(s): Umaswami, Umaswati, Haribhadrasuri, 
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ साक्षिणः श्रीतवार्थहरि० तत्त्वार्थीयहारिभद्रीयवृत्तौ साक्षिणः १३ मोक्षमार्गोपदेशेन ,, मोक्षमार्गस्य विज्ञानात् २३ भवति स नामातीतः २६ कालो सहाय नियई ११ जत्थ उजं जाणिजा , पुरुष एवेदं ३२ निःस्वभावा भावाः ,, सकायकिरणक. ३३ आप एवेदमग्र ३६ अनुयोगद्वारेषु ५१ अनुयोगद्वारा ५२ लोकव्यापी चतुर्थे तु ५२ पुवभणियं तु जं भण्णइ ५७ जं सामिकालकारण , कालविवजयसामित्त ६९ जिजइ जेणत्थो ११० से णूणं भंते !-अवेयइत्ता ११४ जल्लेस्साई दबाई ११६ सबजीवाणंपियणं ११७ कइविहे णं भंते ! उवओगे १२१ फासिदिए णं भंते १३९ अपञ्जत्तसुहुमपुढवि. | १५४ पुत्विं दुच्चिण्णाणं दुप्प० १५७ मूयं हुंकारं वा | १५९ णविय फुसंति अलोगं ,, छच्चेव अपंचम १६० तिभागो गाउयं येव , तेरिकारस नवगं १६२ सम्मत्तसुयं सवासु १६७ जीवाजीवा द्रव्यं ,, तत्राधोमुखमल्लक १६८ जस्स जओ आइच्चो १६९ अट्ठपएसो रुयगो ॥१०॥ For Personal BP Jan Education international www.jainelibrary.org O

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 556