Book Title: Tattvartha Sutra Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 6
________________ उपशमसम्पत्कपर्याप्तिअवस्थाहीम होइपर्याप्तिमैं नही होश मनुष्याणी पर्याप्त अवस्थाही में सम्पक्त होश परंतु क्षायिक सम्पत्कनावस्त्रीकै हो स्त्री नही हो||देवगतिमें सम्पक्त्त होइनौ कल्पवासी निमतोपर्याप्ति अपर्याप्त दोक अवस्थाविषैतीनूषका र दीका सम्पत्त होइ है।। प्रश्नवनवा सीव्यंतख्योतिकतीनप्रकारकेदेक्चरदेवांगनां चरकल्पवासी देव निकीसम स्तदेवांगन निकै क्षायिक सम्युक्त होइही नहीं। अस्वप्ामक्षयोपशमदो इसम्पत्क होइ तोपर्याप्तिही कै होइ अपर्याप्त कै नही होश इंद्रिय के अनुचार दकरिसंक्ाकीमकें तीन सम्पक होश। संज्ञीपयतिकै नहीं होइ कर यके अनुवाद करित्र सकायक निकैनी नूसम्पत्क होइ है। स्थावर निकै नही होश|योग के अनुवाद करितीनूंयोगनितीनूसम्पत्क होइहै|अर योगर दिक्तप्रयोगीभगवान्कै क्षायिक वेद के अनुवादक रितीनं वेदनिPage Navigation
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