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अवधि
तत्वार्थमूत्र सप्तरुद्विनिम को दिनांक पत्याई होय असे वईमान चारित्रसंयुक्तसं || यमीहीकै होइहै वऊरिअवधिज्ञानत्तै मनःपर्यका विषयसूक्ष्म है। मनपर्ययमै विशेष ॥ सूत्रं ॥ तिश्रुतयेोनिविधोइयेर्धं सर्वयययेिषु ॥ १६ ॥२ मतिज्ञानच्अरश्रुतज्ञानइनिकाविषय का नियम है सो समस्त इच्यतेजीवयु फलधर्म अधर्म आकाशकालनिके कितने कपर्याय निमे है।। मत्तिश्रूतज्ञ नपरोक्षचव्यनिहीके कितनैकपर्याय निसहित जाने है। समस्तपर्या यनिकूनही जानँदै॥ सूत्रं ॥ रुपिश्ववधेः ॥ २१॥ श्रवधिज्ञानका विषयकानि यमरुपी इव्य जो एकपुङ्गव्यतितमेारुपीकूं न ही जाने है॥ सूत्रांतर्द नवनागमन:पर्ययस्प अवधिज्ञानका विषयजोरुपी इव्य तिस काय नेत नागकजित्तिसमैं एकनागरुप युगल व्यकूं मन:पर्ययज्ञानजनित र तैमनपर्ययज्ञानका सूक्ष्म विषय ।। सूत्रं सर्वव्यपयथिषु केवलस्प
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