Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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सँसाधनकमाअधिकरणजानाधारसोदोश्यकारदा अन्यतरआधाराशा प्रवासामाधाराशासम्पत्ककाअन्यतस्त्राधारतोसम्यककेउपजनेनोग्य प्रामाहीहमारवाहानाधाराएकरचौडीलंधीचौरदस्तुचीसीधस नालीमादीसम्पादृष्टी हावामानही होनेसेअधिकरणका प्रवस्थिति कहहोऊपशमिकसम्पककीएकजीवकैउलष्टानथानधन्पहअंतर्मु इहितसायिकसम्पककीस्थिगिसंसारी तीवकैनधन्य नेतर्मुहकार। अंतर्मुसपिनियाहिोतायही उत्कृष्टस्थिनितीससागराधेशमु मिहितप्रष्टवर्षदानपूर्वकोरिक्ष्यअधिकहोमरमुक्तजीवकैज्ञायिकसम्म लकास्थितिवादिसहितहाअस्तमहीप्रेमहामरक्षायोपामिकसम्म ककीस्थितिजघन्यनंतरहितकाह। अरबत्कृष्टव्यासचिसागरकाहा सिंस्थितिकही अवविधानकहलामामाम्पतेसम्पत्कएकपकारदैनि

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