Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 4
________________ अतदाकारमै करीनहां साक्षातूक पनही मानिकरियादरस्तवनदर्शपूजनक न खांदे असे च्यारिनिक्षेप नितैपदार्थ निकामवहारघवतैरसोय थावतजानन असे नामादिनिक्षेपनिकरिांगीकार की यपदार्थनिका स्वरूपका ज्ञानका देते होय तातसूत्रक हैहै॥ सूत्रं ॥ प्रमाणनयैरधिगम: ६॥ प्रमाएकओरनयनि करिजीवादिकतत्त्वनिकाजान नाहीय है। वऊरिसम्यकूदर्शनादिक निकेना वः अनेकाउपायकइँदै॥ सूत्रं निर्देशखा मिसाधनांधिकरणस्थितिविधानतः ॥ निर्देशकहिएस्वरूप का कहना।स्वामित्वकहिएअधिपत्तपणा साधनकदिए उत्पत्पकानिभिना अधिकरण कहिए आधार स्थिकेदिएकालकाप्रमाण धानकहिएप्रकार। इनिकारक रिकै सम्पग्दर्शनादिकतथाजीवादिक जानिए है। इसका उदाहरए सम्पकदर्शनकदा है। पैसैंपन होतैंत्तरकदै है। तत्वार्थनिका प्रधानसो सम्पग्दर्शन है। एतौ निर्देश है। सम्पग्दर्शिनिकों न

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