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पंचेन्द्रियाणि।।५।। स्पर्शन आदि पाँच इन्द्रियाँ हैं।
द्विविधधानि।।६।। वे इन्द्रिया द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय के भेद से दो प्रकार की
निर्वृत्युपकरणे द्रव्येन्द्रियम्।१७।।
निवृत्ति (आकार इन्द्रिय) और उपकरण (द्वार साधनरूप इन्द्रिय) ये दो भेद द्रव्येन्द्रिय के हैं।
के समान
लब्ध्युपयोगौ भावेन्द्रियम् ।।१८।।
लब्धि (ज्ञयोपशम विशेष) और उपयोग (सावधानता) ये भेद भावेन्द्रिय के हैं।
स्पर्शनरसणनघ्राणचक्षुः श्रोत्राणि।।९।।
स्पर्शन (त्वचा) रसना (जीभ) घ्राण (नाक) चक्ष (आँख) और श्रोत (कान) ये पाँच इन्द्रियाँ हैं।
स्पर्शरसगंधवर्णशबदास्तदर्थाः।।२०।।
स्पर्श, रस, गन्ध वर्ण और शब्द ये पूर्वोक्त पाँच इन्द्रियों के अनुक्रम से विषय होते हैं।
श्रुतमनिन्द्रियस्य।।२१।। श्रुत, अनिन्द्रिय (मन) का विषय है।
वनस्पत्यंतानामेकम्।।२२।।
पृथ्वीकाय से लेकर वनस्पतिकाय तक जीवों के केवल एक स्पर्शन इन्द्रिय होती है।