Book Title: Tattvartha Sutra Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 1
________________ दो शब्द प्रिय पाठकों जैन समाज में तत्त्वार्थसूत्र का प्रचार बहुत अधिक है। इसमें जैनधर्म का सम्पूर्ण सिद्धान्त भरा हुआ है, प्रथम गुजरात के किसी द्वैपायिक नाम के श्रावक ने अपने स्वाध्याय के लिए सूत्र लिखना शुरु किया और दिवाल पर- 'दर्शन ज्ञान चारित्राणि मोक्षमार्ग' लिख दिया, परमं पुण्य से श्री आचार्य उमास्वामी चर्या को आये और आहार लेने के अनन्तर उक्त सूत्र में “सम्यक्” पद जोड़कर जंगल में ध्यान करने चले गये। श्रावक जब घर आया और अपने सूत्र में सम्यक् पद जुड़ा हुआ देखा, तब ज्ञान सागर में निमग्न हो आनन्द विभोर हो गया। और मालूम करके उन्हीं आचार्य के पास- मोक्षमार्ग का स्वरूप पूँछता भया- उक्त श्रावक के प्रश्न को लेकर आचार्य सम्यक् दर्शन ज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः, “सूत्र प्रारम्भ किया और श्रावक की प्रार्थना से तत्त्वार्थसूत्र की रचना की। तब से निरन्तर इस पर अनेक संस्कृत भाषा की टीकाएँ हुई और इसका स्वाध्याय इतना अधिक प्रचलित हुआ इसका माहात्म्य आचार्य ने अपने शब्दों में लिखा है फलंस्यादुपवासस्य भाषित मुनि पुंगवैः अर्थात् इसके एक बार स्वाध्याय से एक उपवास का फल होता अतएव स्वाध्याय प्रेमियों के लिए सरल अल्प समय में अर्थ बोध के लिए संक्षिप्त सूत्रार्थ “पं. बिमल कुमार जैन शास्त्री" से लिखाकर प्रकाशित कर रहा हूँ इसमें जो पंण्डित जी ने परिश्रम किया है प्रशंसनीय है। -प्रकाशक श्रीवर्द्धमानाय नमः आचार्य श्रीमदुमास्वामीविरचितंPage Navigation
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