Book Title: Tapagaccha ka Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 2
________________ पुस्तक-परिचय श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समुदाय में तपागच्छ का स्थान सर्वोपरि है। वि0सं0 1285 में आचार्य जगच्चन्द्रसूरि को आघाटपुर के शासक जैत्रसिंह से 'तपा' विरुद् प्राप्त हुआ। इस आधार पर उनकी शिष्य संतति तपागच्छीय कहलायी। जगच्चन्द्रसरि से लेकर आज तक इस गच्छ की अविच्छिन्न परम्परा चली आ रही है। इस गच्छ में सुप्रसिद्ध विद्वान् सोमसुन्दरसूरि, अकबर प्रतिबोधक आचार्य हीरविजयसूरि, महान् विद्वान् उपाध्याय यशोविजय जी आदि हो चके हैं। आज भी इस परम्परा में बड़ी संख्या में प्रभावक आचार्य एवं विद्वान् मुनिजन विद्यमान हैं। अन्यान्य गच्छों की भांति इस गच्छ से भी समय-समय पर विभिन्न शाखायें अस्तित्व में आयीं। इन सभी का शोधपूर्ण विवरण प्रस्तुत पुस्तक में संग्रहीत है। Private Personal use only

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