Book Title: Tao Upnishad Part 02 Author(s): Osho Rajnish Publisher: Rebel Publishing House Puna View full book textPage 2
________________ लाओत्से ने यो भी कहा है, वह -पच्चीस जरूर है लेकिन एक अर्थो तना ही नया है, जैसे सुबह की ओस की बूंद नई ठोती ही नया इसलिए कि उस पर अब तक प्रयोगमा जया इसलिए है कि मनुष्य की आत्मा उस रास्ते पर। - एक कदम भी अभी नहीं चली। यास्ता बिलकुल अछूता और कुंवारा है। पुराना इसलिए है कि पच्चीस साँ साल पहले लाओत्से ने उसके संबंध में खबर देनिया इसलिए है कि उस व जोब तक मजा नही गया ह। और आज उस खबर को सुनने की सर्वाधिक जरूरत आ गई। हैं, जितनी कि कभी भी नहीं थी। ओशोPage Navigation
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