Book Title: Tao Upnishad Part 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 13
________________ 3 95 वन एक गणित नहीं है; गणित से ज्यादा एक पहेली है। और न ही जीवन एक तर्क-व्यवस्था है; तर्क-व्यवस्था से ज्यादा एक रहस्य है। गणित का मार्ग सीधा साफ है। पहेली सीधी-साफ नहीं होती। और सीधी-साफ हो, तो पहेली नहीं हो पाती। और तर्क की निष्पत्तियां बीज में ही छिपी रहती हैं। तर्क किसी नई चीज को कभी उपलब्ध नहीं होता। रहस्य सदा ही अपने पार चला जाता है। लाओत्से इन सूत्रों में जीवन के इस रहस्य की विवेचना कर रहा है। इसे हम दो तरह से समझें । एक तो हम कल्पना करें कि एक व्यक्ति एक सीधी रेखा पर ही चलता चला जाए, तो अपनी जगह कभी वापस नहीं लौटेगा। जिस जगह से यात्रा शुरू होगी, वहां कभी वापस नहीं आएगा, अगर रेखा उसकी यात्रा की सीधी है। लेकिन अगर वर्तुलाकार है, तो वह जहां से चला है, वहीं वापस लौट आएगा। अगर हम यात्रा सीधी कर रहे हैं, तो हम जिस जगह से चले हैं, वहां हम कभी भी नहीं आएंगे। लेकिन अगर यात्रा का पथ वर्तुल है, सरकुलर है, तो हम जहां से चले हैं, वहीं वापस लौट आएंगे। तर्क मानता है कि जीवन सीधी रेखा की भांति है। और रहस्य मानता है कि जीवन वर्तुलाकार है, सरकुलर है । इसलिए पश्चिम, जहां कि तर्क ने मनुष्य की चेतना को गहरे से गहरा प्रभावित किया है, जीवन को वर्तुल के आकार में नहीं देखता । और पूरब, जहां जीवन के रहस्य को समझने की कोशिश की गई है— चाहे लाओत्से, चाहे कृष्ण, चाहे बुद्ध-वहां हमने जीवन को एक वर्तुल में देखा है । वर्तुल का अर्थ है कि हम जहां से चलेंगे, वहीं वापस पहुंच जाएंगे। इसलिए संसार को हमने एक चक्र का है, दि व्हील। संसार का अर्थ ही चक्र होता है। यहां कोई भी चीज सीधी नहीं चलती, चाहे मौसम हों, चाहे आदमी का जीवन हो। जहां से बच्चा यात्रा शुरू करता है जीवन की, वहीं जीवन का अंत होता है। बच्चा पैदा होता है, तो पहला जीवन का जो चरण है, वह है श्वास । बच्चा श्वास लेता पैदा नहीं होता, पैदा होने के बाद श्वास लेता है। कोई आदमी श्वास लेता हुआ नहीं मरता, श्वास छोड़ कर मरता है । जिस बिंदु से जन्म शुरू होता है, जीवन की यात्रा शुरू होती है, वहीं मृत्यु उपलब्ध होती है। जीवन एक वर्तुल है। इसका अगर ठीक अर्थ समझें, तो लाओत्से की बात समझ में आ सकेगी। लाओत्से कहता है, सफलता को पूरी सीमा तक मत ले जाना, अन्यथा वह असफलता हो जाएगी। अगर सफलता को तुम पूरा ले गए, तो तुम अपने ही हाथों उसे असफलता बना लोगे। और अगर यश के वर्तुल को तुमने पूरा खींचा, तो यश ही अपयश बन जाएगा। यदि जीवन एक रेखा की भांति है, तो लाओत्से गलत है। और अगर जीवन एक वर्तुल है, तो लाओत्से सही है। इस बात पर निर्भर करेगा कि जीवन क्या है, एक सीधी रेखा ?

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