Book Title: Takraav Taliye
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 9
________________ १० टकराव टालिए लगे तब क्या करें? दादाश्री : इस दीवारके साथ झगड़ेगे तो कितना समय झगड़ सकें? इस दिवारसे एक दिन सिर टकराया, तो हमें उसके साथ क्या करना ? सिर टकराया इसलिए हमारी दीवारसे मुढभेड़ हो गई, अब क्या दीवारको फटकारते रहेंगे? इसी प्रकार ये जो बहत क्लेष कराते है वे सभी दीवारे हैं! इसमें सामने वाले को क्या देखना हमें अपने आप समझ लेना हैं कि ये दीवारोंके समान है, ऐसा समझनेके बाद कोई तकलीफ नहीं है । टकराव टालिए प्रश्नकर्ता : वह किवाड़ तो निर्जीव वस्तु है न ? दादाश्री : अर्थात जीवितके लिए ही आप ऐसा मानते हैं कि यह मुझसे टकराया, इस दुनियामें जो टकराती है वे सारी निर्जीव वस्तएँ होती है .टकराये वह जीवित नहीं होती, जीवित टकराती नहीं निजीव वस्तु टकरायेगी इसलिए आप उसे दीवार जैसी ही समझ ले अर्थात गड़बड़ नहीं करने की ! वैसे थोडीदेर बाद करना, "चलिए चाय बनाइए।" अभी एक बच्चा पत्थर मारे और खुन निकल आये तब बच्चेसे क्या करोंगे ? गस्का करेंगे । और आप जा रहे हैं और पहाड़ परसे एक पत्थर गिरा, वह लगा और खून निकला तब फिर क्या करोंगे ? गुस्सा करेंगे? नहीं । उसका क्या कारन ? वह पहाड़ परसे गिरा है । बादमें लड़का पछता रहा हो कि मुझसे यह क्या हो गया । यह पहाड़ परसे गिरा, वह किसने किया? इसलिए इस दुनियाको समझो । मेरे पास आयें तो चिंता नहीं हो ऐसा आपको कर दूँ। और संसारमें अच्छी तरह रहें और वाईफके साथ चैनसे घूमें फिरें । लड़के-लड़कियोंकी चैनसे शादियाँ रचायें । फिर वाईफ खुश हो जायेगी, "कहना पड़े कैसे सयाने कर दिए, मेरे पतिको !" कहेगी। अब वाईफको किसी पड़ोसनके साथ टंटा हो गया ह और उसका (10) दिमाग़ गरम हो गया हो और हमारे बाहरसे आने पर वह उग्रतासे बात करे, तब हम क्या करें फिर ? हम भी उग्र हो जायें ? ऐसे संयोग आते है, वहाँ पर एडजस्ट (अनुकूल) होकर चलना चाहिए हमें । आज वह किस संयोगसे क्रोधित हुई है, किसके साथ क्रोधित हुई है क्या मालूम ? इसलिए हम पुरुष हुए, मतभेद नहीं होने दे । वह मतभेद खड़ा करे तो मना लेना । मतभेद अर्थात टकराव ! सायन्स (विज्ञान) समझने जैसा ! प्रश्नकर्ता : हमें क्लेष नहीं करना हो पर सामने से आकर झगड़ने प्रश्रकर्ता : हमारे मौन रहने पर सामनेवाले को उलटा असर होता है कि दोष इनका ही है और ज्यादा क्लेष करते है । दादाश्री : यह तो हमने मान लिया है कि मैं मौन रहा इसलिए ऐसा हुआ । रातमें मनुष्य उठा और बाथरूम जाते अंधेरेमें दीवारसे टकराया, तो वहाँ हमारे मौनकी वजहसे वह टकराई ? मौन रहें । बोलें उसे स्पर्श ही नहीं करता, कुछ लेना-देना नहीं । हमारे मौन रहनेसे सामनेवालो असर होता है ऐसा कुछ होता नहीं है कि हमारे बोलने से असर होता है ऐसा भी कुछ नहीं है . "ओन्ली सायन्टिफिक सरसमस्टेन्शियल एविडन्स" (केवल वैज्ञानिक सांयोगिक प्रमाण) है । किसीकी जरा सी भी सत्ता नहीं है । जरासी सत्ता बगैरका जगत उसमें कोई क्या करनेवाला है ? इस दीवार को यदि (11) सत्ता होती तब इसको सत्ता होती । इस दीवारक हमसे लड़ने की सत्ता है ? ऐसा सामनेवालेको है । और उसके निमित्तसे जो टकराव है वह तो होनेवाला ही है । व्यर्थ शोर मचानेका क्या मतलब? उसके हाथमें सत्ता ही नहीं है वहाँ । इसलिए आप दीवार के समान हो जाइए न ! आप बीवीको झिडकियाँ पे झिडकिया देता है । और वह भगवान बैठे है, वे नोट करें कि यह मझे झिडकिया देता है । और वह आपको झिड़कियाँ देने लगे तब आप दीवार के समान हो जायें तो आपके भीतर बैढे हुए भगवान आपको 'हेल्प' (मदद) करे ।

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