Book Title: Takraav Taliye
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Foundation

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Page 1
________________ टकराव टालिए ! जिस तरह हम रास्ते पर सँभलकर चलते है, फिर सामनेवाला आदमी कितना भी बुरा हो और वह हम से टकराये और हमारा नुकसान करे, वह अलग बात है। लेकिन हमारा इरादा नुकसान पहुँचाने का नहीं होना चाहिए । अगर हम उसे नुकसान पहुँचाने जायें तो उसमें हमारा भी नुकसान होनेवाला है। अर्थात प्रत्येक टकराव में सदैव दोनों को ही नुकसान होता है। आप सामनेवाले को दुःख पहुँचायें उसी के साथ आपको भी, ओन द मूमेन्ट (उसी क्षण ) दुःख पहुँचे बिना नहीं रहेगा। यही टकराव है। इसलिए मैंने उदाहरण दिया है कि रोड पर ट्रैफिक का धर्म क्या है कि टकराओगे तो मर जाओगे। टकराने में जोखिम है, इसलिए किसी के साथ मत टकराना। इसी प्रकार व्यवहारिक कार्यों में भी मत टकराना। टकराव टालिए! - दादाश्री दादा भगवान प्ररूपित टकराव टालिए

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