Book Title: Suyagadang Suttam Part 02
Author(s): 
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 4
________________ अहो सुकृतम् श्रीसूत्रकृताङ्ग चूर्णि: ॥४॥ एतद्ग्रन्थरत्नस्य प्रकाशने ज्ञाननिधिद्रव्यापणेन सहायीभूत: समतासागर-परमपूज्य-आचार्यदेव-श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वराणामाज्ञावर्तिनी-प्रवर्तिनी-श्रीवसन्तप्रभाश्री-शिष्या-साध्वीश्रीचारित्रवर्धनाश्री-साध्वीश्रीज्योतिवर्धनाश्री-प्रेरणया निपाणी-कर्णाटकस्थः श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सङ्घः __श्रीसङ्घस्य सुकृतं भूरि भूरि अनुमोदयामः श्रुतसहयात्री स्वरा (सुलसा) दर्शनभाइ शेलत (गांधीनगरवास्तव्य-महेता-सूर्यकांत-भार्या-सुशीलाबेनश्राविकाया प्रदौहित्री) ॥ ४ ॥ मातृश्री चम्पाबेन चीमनलाल वखारीया परिवार, इलोल, साबरकांठा (प्रेरकः मुनिराजश्रीरत्नबोधिविजयः)

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