Book Title: Suyagadang Suttam Part 02 Author(s): Publisher: Jinshasan Aradhana Trust View full book textPage 7
________________ श्रीसूत्रकृताङ्ग चूर्णिः ॥७॥ ॥ सूरिभुवनभान्वष्टकम्॥ रचयिता - पंन्यासः श्रीकल्याणबोधिविजयगणिः (वसन्ततिलका) सज्ज्ञानदीप्तिजननैकसहस्त्रभानो ! सद्दर्शनोच्छ्रयविधौ परमाद्रिसानो ! दुष्कर्मभस्मकरणैकमनःकृशानो ! भावाद् भजे भुवनभानुगुरो ! भवन्तम् ॥१॥ यो वर्द्धमानतपसामतिवर्द्धमान - भावेन भावरिपुभिः प्रतियुध्यमानः । क्रुच्छद्मलोभरहितो गलिताभिमानो, भावाद् भजे भुवनभानुगुरो ! भवन्तम् ॥२॥ तेजः परं परमतेज इतो समस्ति, दुर्दृष्टिभित्तदमिचंदनि चामिदृष्टिः । भूताऽपि शैलमनसां नयनेऽश्रुवृष्टिः,भावाद् भजे भुवनभानुगुरो ! भवन्तम् ॥३॥ ॥ ७ ॥Page Navigation
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