Book Title: Sumitramantri Charitram
Author(s): Shubhshil Gani
Publisher: Hiralal Hansraj Pandit

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Page 8
________________ चरित्रं A%A सुमित्र अर्थः-ग्रहण करेल छे देशावकाशिक व्रत जेणे, तथा सत्यप्रतिज्ञावाळा एवा ते मन्त्रिश्वरे " मारे घरमाथी बहार जq नही" एवीरीतनां पञ्चरुखाण कर्या // 23 // आवश्यके कृते शुद्धश्रद्धानध्यानबन्धुरः / मन्त्रीश्वरो नमस्कारपरावर्तपरोऽभवत् // 24 // अर्थः-प्रतिक्रमण कर्याबाद शुद्ध श्रद्धाथी मनोहर थयेलो ते मंत्रीश्वर नवकारमन्त्रनो जाप करवामां तत्पर थया. // 24 // समायति वः स्वामी गुरूकार्यतयेत्यथ / नृपतिप्रतिहारस्तं तदागत्य व्यजिज्ञपत् / / 25 // अर्थः-ते वखते, राजा तमोने कई महान कार्य प्रसंगे बोलावे छे, एम राजाना छडीदारे आवीने तेने विनंति करी. // 25 // आ प्रभातागृहबहिर्गतिप्रत्याख्यया स्थितः / एष्यामि प्रातरित्युक्त्वा वेत्री प्रेष्यत मन्त्रिणा॥२६॥ अर्थः-प्रभातसुधी घरनी बहार न जवाना पच्चख्खाण करीने हुँ रहेलो छु, माटे हुं प्रभातमा आवीश, एम कहीने मंत्रिए ते | छडीदारने पाछो मोकल्यो. // 26 // परमेष्ठिनमस्कारसुधासेकविवेकतः / पुनर्मानुषजन्मद्वं सचिवः सफलं व्यधात् // 27 // ____ अर्थः-पछी ते मंत्रीश्वर तो पंचपरमेष्टिना नमस्काररूपी अमृतना सिंचनथी मनुष्यजन्मरूपी वृक्षने सफल करवा लाग्यो. 27 समुपेत्य पुनर्वेत्री मन्त्रिन्दुमिदमभ्यधात् / युष्मदुक्तैर्नृपः स्वाज्ञालोपात्कोपान्धतामधात् // 28 // अर्थः-वळी ते छडीदारे पाछा आवीने ते मंत्रीश्वरने एम कधु के, तमारां वचनोथी, पोतानी आज्ञाना भंगथी राजा क्रोदोघांध थाय छे. // 28 // IRSA- M- CROSS

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