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८] जन सुबोध पाठमाला--भाग १ प्र० : वन्दना का अर्थ स्तुति है या नमस्कार ? उ०: वन्दना का प्रसिद्ध अर्थ नमस्कार है, परन्तु यहाँ और
कही-कही वन्दना का अर्थ स्तुति भी होता है। प्र० : सत्कार किसे कहते है ? उ०: (क) अरिहंतादि की स्तुति करना, (ख) उनका
स्वागत करना, (ग) उन्हे पाहार, वस्त्र, पात्र आदि देना। प्र० : सन्मान किसे कहते हैं ? उ०: (क) अरिहतादि को अपने से बडा मानना, (ख) उन्हे
नमस्कार करना, (ग) उनसे अपना आसन नीचा
रखकर अपने से उन्हे ऊँचा स्थान देना। प्र० : तिवखुत्तो की पाटी मे सत्कार-सन्मान कैसे किया गया ? उ०: आप कल्याणरूप, मगलरूप, देवरूप और ज्ञानवान हैं---
यह कहकर स्तुति करते हुए सत्कार किया गया है
तथा पचांग नमस्कार करके सन्मान किया गया है। प्र० : कल्याण और मगल किसे कहते है ? उ०: पुण्य मिलना या सद्गुण प्रकट होना कल्याण है तथा
पाप खपना या दुर्गुण नष्ट होना मगल है। प्र० क्या अरिहत प्रादि भी देवता है ? उ०: हाँ। जैसे प्राणियो मे शरीर आदि की अपेक्षा देवता
वढ़कर है, वैसे ही अरिहत यादि धर्म की अपेक्षा वढकर
है, इसलिए वे धार्मिक देवता हैं। प्र० · पर्युपासना किसे कहते हैं ? उ० . (क) नम्र पासन से हाथ जोडकर अरिहतादि के मुंह के
सामने सुनने की इच्छा सहित वैठना, कायिक पर्यपासना है। (ख) अरिहतादि जो उपदेश करे, उसे सत्य कहना और सत्य मानना, वाचिक पर्युपासना है।