Book Title: Stotrabhanu Author(s): Nandanvijay Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha View full book textPage 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. प्रिय सज्जनो ? आज आपना करकमलमां आ देवगुरुस्तवनामय स्तोत्रभानु नामर्नु लघुपुस्तक अर्पण करवामां आवेछे, आ पुस्तकती रचनाकरनार जगद्विख्यातभारतमेदिनीमार्तण्डसर्वतन्त्रविद्यावैभषचमत्कृतविद्वन्मण्डलमहामहिमाशाली अमेयगुणनिधानभट्टारकर्ष तपोगच्छाधिराज श्री श्री १००८ श्री आचार्यमहाराज श्री यनेमिसूरीश्वरजीमहाराजना प्रशिष्य अने सिद्धान्तादिना भिशदर्शनप्रभावक अनुयोगाचार्य पन्न्यासजीमहाराजश्री उद जीगणिना शिष्यरत्न पूज्यपाद श्रीमान् नन्दनविजयजी म. तेओसाहेबजी, संसारीपणामां, सौराष्ट्रदेशमां भावनगर प्रान्तम। दशहेरना घतनी हता दशा श्रीमाल वणिग्शतिीय शा. हेमचंद जीना कुलदीपक पुत्ररूपे रत्नकुक्षिणी माता जमनाघाइनी जन्मधारण कर्यो हतो. तेओश्रीने प्रव्रज्यापर्यायने लगभग प्रण वर्ष थयाछे, ते संसारीपणाना पिता, माता, वडीलबन्धु विगेरे तेओने वन्द सादरी मुकामे गया हता तेओ तेओनी उत्तम प्रकारनी वैने दशा तथा शानादिगुणो देखी अत्यन्त आनन्द पास्या हतास उत्तम जीवोने धन्यवाद घटेछे. ग्रन्थकर्ता महात्माए लख्युछे के अमारी नवीन कृतिमां अब अलंकार तथा कल्पना विगेरे कांइपण नही देखाय तोपण प्रभु तिनी प्रेरणाथी रचवामां आवेली मारी आ रचनामां जो काइप स्खलना जणाय तो ते सज्जनपुरुषो क्षमा करशे, अने हुं पण ते संबंधे मिथ्यादुष्कृत दउँछु. प्रियपाठको? शुद्धिमां दृष्टिदोषथी या मुद्रणदोषथी जे भूलो रही होय ते सुझो क्षमा करशे. निवेदकजैनप्रन्थप्रकाशकसभाना कार्यवाहक वाडीलाल पापुलाल शाह. For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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