Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 5
________________ हिन्दी खण्ड • कीट-रक्षक सिद्धान्त का नैतिक आधार : प्रो० एस० आर० व्यास • एक उदार दृष्टिकोण का पक्षधर है : जैन दर्शन का 'स्याद्वाद' डा० सुरेन्द्र वर्मा • जैनागम में 'पाहुड' का महत्त्व : डॉ० ऋषभचन्द्र जैन • जैनशास्त्रों में विज्ञानवाद : डॉ० कमलेश कुमार जैन • वर्तमान संदर्भ में अनेकान्तवाद की प्रासंगिकता: डॉ० श्याम किशोर सिंह • पदार्थ बोध की अवधारणा : डॉ० जयन्त उपाध्याय • अपभ्रंश जैन कवियों का रसराज-'शांत रस' : डॉ० शंभु नाथ सिंह • पाश्चात्य एवं जैन मनोविज्ञान में मनोविक्षिप्तता एवं उन्माद : डॉ० साधना सिंह जैन दर्शन में जीव का स्वरूप : नीरज कुमार सिंह • उदारवादी जैन धर्म-दर्शन : एक विवेचन : डॉ० द्विजेन्द्र कुमार झा • भारत की सांस्कृतिक यात्रा में श्रमण संस्कृति का अवदान : डॉ. विनोद कुमार तिवारी • मिथिला और जैन धर्म : डॉ० अशोक कुमार सिन्हा • जैन दर्शन में निक्षेपवाद : एक विश्लेषण : नवीन कुमार श्रीवास्तव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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