Book Title: Sramana 2008 07
Author(s): Shreeprakash Pandey, Vijay Kumar
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 4
________________ विषयसूची हिन्दी खण्ड १. कीट - रक्षक सिद्धान्त का नैतिक आधार : प्रो० एस० आर० व्यास २. एक उदार दृष्टिकोण का पक्षधर है। जैन दर्शन का 'स्याद्वाद' श्रमण जुलाई-सितम्बर २००८ ३. जैनागम में 'पाहुड' का महत्त्व : ४. जैनशास्त्रों में विज्ञानवाद : ५. वर्तमान संदर्भ में अनेकान्तवाद की प्रासंगिकता : ६. पदार्थ बोध की अवधारणा : ७. अपभ्रंश जैन कवियों का रसराज- 'शांत रस' : ८. पाश्चात्य एवं जैन मनोविज्ञान में मनोविक्षिप्तता एवं उन्माद : डॉ० साधना सिंह ९. जैन दर्शन में जीव का स्वरूप : नीरज कुमार सिंह १०. उदारवादी जैन धर्म-दर्शन : एक विवेचन : डॉ० द्विजेन्द्र कुमार झा 14. The role of Jainism in Evolving a Global Ethics डा० सुरेन्द्र वर्मा डॉ० ऋषभचन्द्र जैन डॉ० कमलेश कुमार जैन ११. भारत की सांस्कृतिक यात्रा में श्रमण संस्कृति का अवदान १२. मिथिला और जैन धर्म : १३. जैन दर्शन में निक्षेपवाद : एक विश्लेषण : नवीन कुमार श्रीवास्तव ENGLISH SECTION २०. प्रकाशन सूची २१. सुरसुन्दरीचरिअं डॉ० श्याम किशोर सिंह डॉ० जयन्त उपाध्याय डॉ० शंभु नाथ सिंह 15. Individual and Society in Jainism 16. Contribution of Buddhism and Postmodernism to Society १७. पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में १८. जैन जगत् १९. साहित्य सत्कार Jain Education International डॉ० विनोद कुमार तिवारी डॉ० अशोक कुमार सिन्हा Dr. Sohan Raj Tater Dr. C. Krause १-७ For Private & Personal Use Only ८-१० ११-१४ १५ - २३ २४-२८ २९-३६ ३७-४२ ४३-५२ ५३-५९ ६०-७० ७१-७४ ७५-७८ ७९-८३ 85-90 91-116 Dr. Ram Kumar Gupta 117-122 १२३-१२९ १३० - १३२ १३३ - १३६ १३७ - १५२ श्रीमद्धनेश्वर सूरि ३२१-३९८ www.jainelibrary.org

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