Book Title: Sramana 2006 04
Author(s): Shreeprakash Pandey
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 196
________________ गुजराती अर्थ :- तेणीनु आ साहस जोईने मारो देह एकदम थीजी गयो, माटी वाचा (जीभ) अटकी गई अने शरीर ना सर्व सांधा पण स्थिर थई गया। हिन्दी अनुवाद :- कनकमाला का यह साहस देखकर मेरा देह सहसा स्तंभित हो गया, मेरी जिह्वा भी स्थिर हो गई, और शरीर के सभी संधिभाग भी स्थिर हो गये। गाहा : तत्तो य कणगमाला आरुहिऊणं तमाल-साहाए । बंधिय निउत्तरीय बंधइ निय-कंधराभोए ।।१६६।। संस्कृत छाया : ततः च कनकमाला आरुह्य तमालशाखायाम् (शाखां) । बद्धवा निजोत्तरीयं बध्नाति निज कन्धराभोगे ।। १६६।। गुजराती अर्थ :- त्यार पछी कनकमालाए तमालवृक्ष ऊपर आरूढ थईने पोताना उत्तरीय-वस्त्रने शाखा साथे बांधीने पोताना गळामा बांघ्यु। हिन्दी अनुवाद :- और कनकमाला तमालवृक्ष पर चढ़कर अपने उत्तरीय वस्त्र को शाखा के साथ बांधकर अपने गले में बांधा। शाहा : अह पभणिउं पयत्ता अम्मे! जं.किंचि बाल-भावाओ। पभिई किलेसिया तं तं खमियव्वं महं सव्वं ।।१६७।। संस्कृत छाया : अथ प्रभणितुं प्रयता हे अम्ब! यत्किंचिद् बालभावात्। प्रभृति क्लेशिता तत्तत् क्षतव्यं मम सर्वम् ।।१६७।। गुजराती अर्थ :- त्यार पछी प्रयत्न पूर्वक ते बोलवा लागी। हे माता! बालभावथी मांडीने जे काई पण मारो अपराध थयो होय ते सर्वनी मने क्षमा आपजे। हिन्दी अनुवाद :- फिर प्रयत्नपूर्वक बोलने लगी हे माता! बाल्यकाल से आजतक मैंने जो कुछ भी अपराध किया हो उन सभी के लिए मुझे क्षमा करना। गाहा : ताय! तुमंपि हु मह खमसु संपयं पणय-परवसाइ मए। पव्विं किलेसिओ जं पर-लोयं पत्थिया अहयं ।।१६८।। संस्कृत छाया :हे तात! त्वमपि खलु मम क्षमस्व साम्प्रतं प्रणयपरवशया मया। पूर्वं क्लेशितो यत् परलोकं प्रस्थिताऽहम् ।। १६८।। 190 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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