Book Title: Sramana 1994 10
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 40
________________ ३८ : श्रमण पुस्तक - जैनदृष्टि से विपश्यना लेखक - आचार्य विजय जनक चन्द्र सूरि जी प्रकाशक - श्री पालनपुर जैन, श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ, पालनपुर (गुजरात) संस्करण - प्रथम ( १९९३ ) मूल्य - ४.०० रुपये लेखक ने इस पुस्तक में विपश्यना के बारे में विस्तार से चर्चा की है। इसमें लेखक ने जैन दृष्टिकोण से विपश्यना का अभिप्राय, इस क्रिया द्वारा होने वाले अनुभवों को प्रस्तुत किया है। जैन सिद्धान्तानुसार ध्यान की प्रक्रिया जो प्राय: लुप्त हो गई उसे विद्वान लेखक ने अपनी इस पुस्तक के माध्यम से पुन: अस्तित्व में लाने का प्रयत्न किया है। पुस्तक ध्यान साधना के साधकों के साथ ही सामान्य जन के लिए भी अत्यन्त उपयोगी है। पुस्तक - समाजभूषण सेठ श्री चम्पालालजी बाँठिया स्मृति ग्रंथ सम्पादक - श्री उदय नागोरी प्रकाशक - श्री जवाहर विद्यापीठ, बीकानेर ( राजस्थान ) पृष्ठ - २४४ मूल्य - १०१ रुपये सेठ चम्पालालजी बाँठिया के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का संकलन इस ग्रंथ में बड़े ही सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। पारिवारिक, सामाजिक, धार्मिक क्रियाकलापों का चित्रण चित्र-वीथी के माध्यम से हुआ है जो प्रस्तुत पुस्तक की विशेषता है। समाज के धार्मिक एवं सामाजिक विभूतियों के बारे में जानकारी चाहने वालों के लिए यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जा सकता है। मुद्रण एवं बाइण्डिंग कार्य काफी अच्छा है। प्रकाशक और संपादक इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए बधाई के पात्र हैं। पुस्तक - मेरा भाई लेखिका - साध्वी अक्षय जी 'आखा' प्रकाशक - जय नारायण जैन, जी-११८, पटेलनगर - ३, गाजियाबाद । संस्करण - प्रथम (१९९४ ) मूल्य - शुभ संकल्प परम विदुषी साध्वी अक्षय जी 'आखा जी द्वारा लिखित इस लघु उपन्यास में तीर्थंकर भगवान् महावीर के निर्वाण के समय उनके बड़े भाई राजा नन्दिवर्धन की मन:स्थिति को सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। __ यह एक आदर्शपरक उपन्यास है। यह उपन्यास समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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