Book Title: Sramana 1991 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 105
________________ ( १०३ ) मुनि श्री नगराज को १९९० का मूर्तिदेवी पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा सन् १९९० का अष्टम् मूर्तिदेवी पुरस्कार प्राकृत, पालि, संस्कृत एवं हिन्दी के विख्यात विद्वान् और प्राचीन भारतीय संस्कृति के व्याख्याता मुनि श्री नगराज को उनके प्रसिद्ध ग्रन्थ "आगम और त्रिपिटक : एक अनुशीलन" के लिए दिये जाने का निर्णय किया गया। यह पुरस्कार इसके लिए विशेष रूप से आयोजित समारोह में मुनिश्री को समर्पित किया जायेगा। इस पुरस्कार के अन्तर्गत एक प्रशस्तिपत्र और श्रुतदेवी सरस्वती की प्रतिमा के साथ ५१००० रुपये की राशि समर्पित की जायेगी। साभार प्राप्ति नवतत्त्व : आधुनिक संदर्भ-लेखक : युवाचार्य महाप्रज्ञ; प्रकाशकः जैन विश्व भारती, लाडनूं; मूल्य : ५.०० रु०; संस्करण : प्रथम १९९१। प्रवचनरत्नाकर भाग ३ -सम्पा० : डॉ० हुकुमचन्द भारिल्ल; प्रकाशक : पण्डित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट जयपुर; मूल्य : १०.०० रु०; संस्करण : प्रथम १९८३ ।। ___ श्वेताम्बर जैन तीर्थ पावागढ़-सम्पा० : पन्यास श्री जगच्चन्द्र विजय जी; प्रकाशक : श्री परमार क्षत्रिय जैन सेवा समाज पावागढ़ (गुज०)। ___सामयिक सूत्र - संयोजक : मुनि सतीशचन्द्र 'सत्य'; प्रकाशक : श्रीराम प्रसन्न ज्ञान प्रसार केन्द्र, चन्द्रपुर । ___ चन्द्रप्रभ की कहानियाँ-मुनि ललितप्रभ सागर; प्रकाशक : श्री जितयशाश्री फाउंडेशन, कलकत्ता; मूल्य : सात रु०; १९८७ । गुरुप्रिया (ब्रह्मसूत्रविवृतिः)-प्रकाशक : जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य विद्यापीठम्, वाराणसी; पृ० सं० : १३+ ४८०; मूल्य : ?; १९८७ । उपहार-लेखक : श्री राजेन्द्र मुनि जी; प्रकाशक : श्री तारन गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर; पृ० सं० १४+११९; मूल्य : १५ रु०; संस्करण : प्रथम १९९१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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