Book Title: Sramana 1991 04
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 108
________________ साहित्य-सत्कार स्टडीज इन देश्य प्राकृत-लेखक : एच० सी० भयानी, प्रकाशक : श्री हेमचन्द्राचार्य नवम् जन्म शताब्दी स्मृति शिक्षण संस्कार निधि, अहमदाबाद, पृ० सं० ३०+-२८०, मूल्य : १५०-०० रु०; संस्करण : प्रथम १९८८ । हेमचन्द्र के ग्रन्थों में देशीनाममाला एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है, जिसमें देश्य शब्दों का संकलन किया गया है। उस पर प्रो० भयानी का एक लघु ग्रन्थ 'स्टडीज इन हेमचन्द्राज देशीनाममाला' पार्श्वनाथ विद्याश्रम से पूर्व में प्रकाशित हुआ था। उस ग्रन्थ की सामग्री तथा प्रो० भयानी के देश्य शब्दों के सन्दर्भ में लिखे गये अन्य आलेखों से प्रस्तुत ग्रन्थ की विषयवस्तु का निर्माण हुआ है। प्रस्तुत कृति उन लोगों के लिए, जो कि देश्य प्राकृत के अध्ययन में रुचि रखते हैं अथवा जो देश्य शब्दों के अर्थ एवं प्रयोगों को जानने को उत्सुक हैं, महत्त्वपूर्ण है। प्रो० भयानी की प्राकृत एवं अपभ्रंश साहित्य में जो गहरी पैठ है, प्रस्तुत कृति में उसी का प्रतिबिम्ब देखा जाता है। छपाई निर्दोष है एतदर्थ प्रकाशक संस्था धन्यवाद की पात्र है। यशोधरचरितम् --सम्पादक : डा० भागचन्द्र जैन भास्कर, प्रकाशक : सन्मति रिसर्च इन्स्टीट्यूट आफ इण्डोलाजी, नागपुर, पृ० सं० ८+१५८+१८, मूल्य : ? ; संस्करण : प्रथम १९८८ । भट्टारक सकलकीति विरचित यशोधरचरित जैन संस्कृत काव्य साहित्य की एक महत्त्वपूर्ण कृति है। यशोधर का कथानक जैन परम्परा में बहुप्रचलित रहा। आचार्य सकलकीर्ति ने उसी कथानक के आधार पर आलोच्य संस्कृत महाकाव्य की रचना की है। इस यशोधर चरित में महाकाव्य के सभी लक्षण पाये जाते हैं। ग्रन्थ की भाषा लालित्यपूर्ण है प्रस्तुत कृति का सम्पादन एक सचित्र पाण्डुलिपि को आधार बनाकर किया गया है। ग्रन्थ के प्रारम्भ में डा० भागचंद्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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