Book Title: Sirisiriwal Kaha Part 02
Author(s): Ratnashekharsuri, Bhanuchandravijay
Publisher: Yashendu Prakashan

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Page 9
________________ जयजीगणिवराणां सम्प्राप्तसान्निध्येन कृतविद्याभ्यासः, प. पू. पन्यासश्री चन्द्रोदयविजयानां शिष्य विद्वद् वर्यमुनिश्री भानुचन्द्रविजयैः श्रीक्षमाकल्याणकीयावचूा, स्वरचित विषमस्थलटिप्यण्या च सहितं सम्पाद्य दुर्लभप्रायं सुलभीकृतमिति सुकृतमेतत् जनानामह्यतोऽतीवोपकारः। आशासे पठन-पाठन श्रवण-श्रावणाऽनुसरणादिना फलभाजः स्युःप्रशस्या एवंविधा सन्तः प्रयत्ना इति / જ્ઞાનમંદિર માટુંગા. મુંબઈ 19 21-11-13 शुभभावनभावितातः करणस्य मुनि सूर्योदयविजयस्य

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