Book Title: Siddh Hemchandra Vyakaranam Part 01
Author(s): Darshanratnavijay, Vimalratnavijay
Publisher: Jain Shravika Sangh

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Page 6
________________ है । वेद लालचन्दजी महात्मा राजाजी के करहा वालों में पांच सौ रुपये की उदार भेंट की है एवं साध्वीजी किरण प्रज्ञा श्रीजी के सदुपदेश से नीलकमल एपार्टमेण्ट साबरमती की बाराधक बहिनों ने शान खाते की आय से २२०० रुपये की उदार भेंट की है इन सबका भी हम हार्दिक अभिनन्दन करते हैं। सुश्रावक जेठालाल भारमल शा तथा सुश्रावक माणेकलाल भाई पण्डितों ने इसका साङ्गोपाङ्ग अवलोकन किया एवं पण्डित तृष्ति नारायण झा ने इसका सम्पूर्ण निरीक्षण करके इसका स्वागत किया है। सुश्रावक लालचन्दजी छगनलालजी पिन्डवाडा वालों को हम नहीं भूल सकते जिन्होंने बार-बार इसके शीघ्र प्रकाशन के लिये प्रयत्न किया। श्री हँसमुखलालजी जैन (लक्ष्मी प्रेस ) रतलाम वालों ने इसे दो महीने में प्रकाशित करके दिया अतः वे भी इस प्रसंग पर भूले नहीं जा सकते। ___इस प्रकाशन में कलिकाल-सर्वज्ञ आचार्यदेव श्रीविजय हेमचन्द्र सूरीश्वरजी महाराजा के आशय-विरुद्ध कुछ भी प्रकाशन हो गया हो तो उसका मिच्छामि-दुक्कडं देने के साथ प्रुफ संशोधन की त्रुटि, स दोष या अन्य कारण से जो त्रुटि रह गई हो उसकी क्षमा याजना पूर्वक सुज्ञ वाचकों को सुधारकर पढ़ने की विनती है। विनीत-- श्री जैन संघ पिण्डवाडा के वती. सेठ-कल्याणजी सोभागचन्दजी जैन पेडी ट्रस्ट पिण्डवाडा गुणरत्नावृत्ति का पण्डितवों ने स्वागत किया .. वृत्ति बहुत ही सुन्दर हुई है बन सके तो जल्दी से छपाने की कृपा करना जी। ऐसे महान् ग्रन्थ के पीछे मेहनत खब ही चाहिये और तैयार हए ऐसे महान् ग्रन्थ जल्दी से छप जाय यह बहुत ही इन्छनीय है। भविष्य में सिद्ध-हेम-व्याकरण पढ़ने वालों के लिये यह वृत्ति बहुत ही उपयोगी होगी। जेठालाल भाई भारमल शा : बी-वेलाणी एस्टेट दुकान नं. ७ .. मलाड पूर्व बम्बई-७

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