Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita Author(s): Publisher: View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पामिसमापुऽषधी िसमोषधयोरसैन॥ सवतीजगतीभिः पृश्यन्तासम्मधुमतीमधुमतीभित्पृश्यन्ताम् 21 जनयत्यैत्वा / || जनयत्यैत्वासय्यौमीदमुग्नेरिदमुग्नीषोमयोरिषेत्वाघम्मोसिवि प्रश्वायुरुरुप्पथाऽउरुप्पथस्वोरुतैयुज्ञपतिप्प्रथतामुग्निष्टुत्वचुम्मा हिल्सीडेवस्त्वासविताश्रपयतुबर्षिष्ठेधिनाकै 22 मा / मामा संबिक्थाऽअमेिरुद्रुज्ञोतमेरुर्व्यजमानस्यप्पुजा यात्रुितायत्वा | वितायत्वैकुतायत्वा 23[3] देवस्यत्वा / सवितुरुप्पसवेनिश्वनों हुस्याम्पूष्ष्णोहस्ताभ्याम् // आदंदेहरकतन्देवेभ्य इन्द्रस्य | बाहुरसिदक्षिण सुहस्रभृष्टि शुततेजाबायुरसितिग्मतेजाविषुतोछ / For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 479