Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संहि. प्प्योस्यूर्जेत्वादधनत्वाचक्षुषावपश्यामि // अग्नेजिह्वासिंसुहईवे क्योधाम्नेधाम्नमेभवुयजुषेयजुषे ३०सुवितुस्त्वां। प्रसुवऽउत्त्यु नाम्म्यच्छिद्रेणपुवित्रेणसूर्यस्यरश्मिभिः॥सुवितुःप्प्रसुवऽउत्पु नाम्म्यच्छिदेणपवित्रैणुसूर्यस्यरश्म्मिभिसातजासिशुक्रमस्यमृतम सिधामुनामांसिप्पियन्देवानामनाधृष्टन्देवयजनमसि३१श इति / श्रीवाजसनेयसंहितायांप्रथमोध्याय॥१०॥अनुवाकसूत्रीकृष्णो सिषड, मेवाजजित्तिस्रो, मयीद, मनीषोमयोःपंचका, वनेदब्धायो / चतस्रः, संवर्चसापंचा, मयेकव्यवाहनायषट, सप्तचतुविशत्॥क 5 ष्ष्णौसि। कृष्ष्णोस्याखरेष्ठाग्मयत्वाजुष्टुम्प्रोक्षामिवेदिरसिबुर्हिर्षे For Private and Personal Use Only

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