Book Title: Shuklyajurved Madhyamdiniya Samhita Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir 1.अ. पू. ध: 24 पृथिविदेवयजनि। पृथिविदेवयजुन्योषड्यास्तेमूलम्मा || हिसिषजङ्गच्छगोष्टानुवर्षतुतेद्यौर्बधानदेवसवितऽपरमस्याम्पृथि याशतेनुपाशैय्यास्म्मान्द्वेष्टियञ्चव्यन्द्विष्म्मस्तमतोमामौक् 25 अपाररुम्।अपाररुम्पृथिव्यैदेवयजनाबद्धयासंबुजङ्गछगोष्ठानुवर्षतु तेयौवधानदेवसवित परमस्याम्पृथियाशतेनुपाशैयस्म्मिान्दै ष्टियञ्चव्यन्द्रुिष्म्मस्तमतोमामौंक्॥ अरेरोदिवम्मापप्तोट्टप्प्सस्तुद्या मास्केन्युजङ्गच्छगोष्ठानवर्षतुतेद्यौवधानदेवसवित ई परमस्याम्प। थिव्या शतेनुपाशैोस्म्मान्द्वेष्टियञ्चव्यन्दुिष्म्मस्तमतोमामौक 26 गायत्रेणत्वा / गायत्रेणत्वाच्छन्दसापरिगृह्णामित्रैष्टुं नत्वाच्छ| 特举杂给爷爷参华华杂杂学学会学学举非举非举学学举学举举举幹幹幹幹幹 For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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