Book Title: Shrutsagar Ank 2013 08 031
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय 'श्रुतसागर धीमी पण मक्कम गतिए श्रुतसेवामां पोतानुं आगq प्रदान नोंधावी रह्यं छे.' वाचकोनी एवी लागणी पत्रना माध्यमे अमारा सुधी मळी रही छे. आधी रही छे. ए अमारा सहु माटे एक आनंदनी यात छे. वात आ अंकनी : श्री संघमां स्वाध्याय- बळ वधे ए आशयथी आ अंकमां धनहर्ष गणिकृत उपदेशमाळानी सज्झाय आपवामां आवी छे, तो एनी साथे साथे ज्ञानमंदिरमा संगृहीत उपदेशमाळा ग्रंथ उपर मळता साहित्यनी संक्षिप्त नोंध पण आपवामां आवी छे. तेमज वीरजिन स्तुति रूप एक चित्रकाव्य कृति पण आ अंकमां प्रकाशित करी छे. आ प्रकारना चित्र काव्योने उकेलवाथी भक्ति अने साहित्यना केटलाय नवा पासाओनो परिचय थाय छे. आ अंकना मुख्य टाईटल रूपे प्रकाशित चित्रकाव्य श्री ईन्दुभाई (U.S.A.) तरफथी मळेल छे. ए बदल एमनो खूब खूब आभार.. उपरोक्त बन्ने लघुकृतिओ संपादित करी पू. मुनिराज श्री सुयशचंद्रविजयजी म. सा. श्रुतसागर माटे मोकली छे. श्रुतसागर माटे एमनो सहयोग खूब सुंदर रह्यो छे. दर अंके काईक नवु-नवू साहित्य तैयार करीने त्वराथी मोकलता रहे छे. ए बदल एमनो खूब-खूब आभार मानवो रह्यो. आ साथे ज्ञानमंदिरमां संगृहीत अप्रकाशित विक्रमनी १५मी सदीमां आलेखायेली प्रतनी प्रतिलेखन पुष्पिकाओ अत्रे प्रस्तुत करी छे. आ प्रतिलेखन पुष्पिका विषयक एक विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिकाने प्रकाशित करतो जैन सत्य प्रकाशना वर्ष - ११मां प्रकाशित 'समग्र आगम लखावनार बे संघवी भाईओनी प्रशस्ति' नो लेख पण अत्रे प्रकाशित कर्यो छे. जूना मेगेझिनोमा रहेला विशिष्ट लेखो अने ऐतिहासिक विगतो आजना वाचको सुधी मळे ए आशयथी ज आ लेख प्रकाशित कर्यो छे. तेमज ज्ञानमंदिरना वाचक संशोधक डॉ. दीपा जैननो आध्यात्मिक विकास अने गुणस्थानक, समायोजन करतो योग विषयक लेख पण स्वाध्याय अने मनन माटे उपयोगी थाय एवो होवाथी अत्रे प्रकाशित करेल छे. योगनिष्ठ पूज्य आचार्य भगवंतश्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. आज्ञानुवर्ती पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतोना वि. सं. २०६९ना चातुर्मासनी सूचि आ अंकमा प्रकाशित करी छे. For Private and Personal Use Only

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