Book Title: Shrutsagar Ank 2012 06 017 Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जून २०१२ (संपादक गण के श्रद्धा सुमन जिनशासन के समर्थ उन्नायक राष्ट्रसंत आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज का आगामी चातुर्मास कोबातीर्थ पर होना तय हुआ है, जो कोबातीर्थ ट्रस्टमंडल, संचालक एवं समस्त जैन समाज के लिये आनन्द और गौरव की बात है. तीन वर्ष के बाद पूज्य आचार्यश्री का कोबातीर्थ पर आगमन होने से यहाँ का कण-कण रोमांचित हो रहा है. विक्रम संवत २०६८, आषाद शुक्ल द्वितीया, दिनांक २१/०६/२०१२ गुरुवार के दिन पूज्यश्री का चातुर्मास || प्रवेशोत्सव होगा, इस अवसर पर पूज्य श्री के स्वागतार्थ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है. मुम्बई महानगरी स्थित श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जैन मंदिर की ऐतिहासिक द्विशताब्दी महोत्सव के प्रसंग पर पूज्य आचार्य भगवंत ने शासन प्रभावना पूर्ण चातुर्मास किया एवं समग्र महोत्सव के आयोजन में निश्रा प्रदान की. द्विशताब्दी महोत्सव के स्मृतिरूप श्री गोडीजी मंदिर के द्वितीय तल पर प्रतिष्ठित मरकत रत्न की नीलवर्णी नवग्रह पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा की अंजनशलाका व प्रतिष्ठाविधि पूज्यश्री के करकमलों द्वारा सम्पन्न हुई. पूज्यश्री की प्रेरणा से ध्वजारोहण के दिन मुम्बई महानगर के तमाम साधर्मिक बन्धुओं के लिये स्वामीवात्सल्य का भव्य आयोजन किया गया था. श्री गोडीजी पार्श्वनाथ जैन मंदिर के द्विशताब्दी महोत्सव के ऐतिहासिक प्रसंग पर पूज्यश्री की निश्रा में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर कोबा की ओर से श्रुतभक्ति का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस मंगलमय अवसर पर ज्ञानमंदिर कोबा द्वारा प्रकाशित कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची खंड ९ से १२ श्रीसंघ को समर्पित किया गया. श्रुतभक्ति के महामहोत्सव में श्रेष्ठियो, विद्वानों, संशोधकों, श्रुतभक्तों एवं नगरजनों का विशाल समुह उपस्थित रहा. पूज्य आचार्य भगवंत की प्रेरणा से अनेक जिनालयों, आराधना भवनों, धर्मशालाओं का निर्माण हो चुका है और हो रहा है, इन सब के बीच पूज्यश्री का जो स्वप्नशील्प है उस भूमि पर उनका आगमन यानी श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र में नवउत्साह का संचरण! इस केन्द्र के द्वारा संचालित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में विवध बेशकिमती एवं अतिप्राचीन, समृद्ध हस्तप्रतों एवं मुद्रित पुस्तकों का विशाल संग्रह है. पूज्य श्रमणश्रमणी भगवंत, भारतीय धर्म-दर्शन एवं साहित्य कि परंपरा के आरूढ विद्वान, संशोधक, विद्यार्थी या सामान्य वाचकों की मुक्त कंठ से हो रही प्रशंसा ही इस संग्रह की अपने आप में अनुपम उपलब्धि है. इस संस्था के सर्जन एवं बहुमुखी विकास यात्रा में पूज्य आचार्य भगवंत की दीर्घदृष्टि है एवं उनके अनेक विद्वान व समर्पित शिष्यगण का अविस्मरणीय योगदान है. इस समग्र आयोजन में अत्यंत पैनी दृष्टी एवं बहुग्राही प्रतिभा का श्रेय पूज्य पंन्यास श्री अजयसागरजी म. सा. को है. समग्र चतुर्विध संघ के लिए यह संस्था सदैव सेवारत है. यह और ही महत्वपूर्ण समय है जब हम सबको इस संस्था के स्वप्नशिल्पी आचार्य भगवंत का पुनः दीर्घ संन्निधान प्राप्त हो रहा है. हम आप सभी को भी इस पुनित वेला में हर प्रसंग, हर आयोजन एवं हर कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए अंतःकरण से आमंत्रित करते हैं. पूज्य झानी आचार्य भगवंत का सानिध्य यानी अपने-आप में उजालों का एक ऐसा संचार जो तन-मन और समग्र जीवन को पुलकित करता है... अनुक्रम लेख लेखक १. संपादक गण के श्रद्धा सुमन २. भगवान महावीर के भक्त १० श्रावक रामप्रकाश झा ૩. શ્રી હેમચંદ્રાચાર્ય જૈન જ્ઞાનભંડાર પાટણનો આછો પરિચય સંકલિત ४. संवेदनासभर प्रार्थनाएँ भद्रबाहु विजय ५. पद्मावती स्तोत्र नवीनभाई वी. जैन ६. समाचार सार संकलित و به سه م م ه ما For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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