Book Title: Shrutsagar Ank 2012 06 017
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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वि.सं. २०६८ - ज्येष्ठ
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रुप अनुपमैं तुं हिं विराजे साहरा गुण कहीऐ ते छाजे तुं गजगमणी चंदावयणी पंकज नयणी कवि मन हरणी चंपक बरणी चतुर विचख्यण तुज तनसे हैं सयल सुलक्षण कंचण कछप चरयण बिराजै यावक रंग्यारंग्या राजै हीरा ज्यु योपे नवपलव तूं परि घूघरि सुभ रणरणव रंभा थंभ कदंब सुजंघा करि मेखल खलकै बहुं भंगा त्रिवली तीन नदीनो संगम जांगै पायो तीरथ जंगम कनक कलस समान पयोधर कांनै कुंडल दीपै शशिधर कर कंकण सोनाना वलीया आंगुलि ओप ज्युं मगफलीया वेणी बासिग तेजैं वसीयो राखडली मणि मध्ये हसीयो मुगताफलमाला गलि सोहं तेजें त्रिभुवन जम मन मोहे नकबे सरनी कीनी तु नांके सोहे मोहे मनमथा ताकै सिंहबाहनी सदा सुहाये सुरनर रंगें तुझ गुण गावै ध्यारभुजा सोहे चतुरंगी पासांकुरावर पहरण पंगी अमृत नयणी अमृत वयणी अमृत सम शीतल सुख देयणी ऋद्धि वृद्धि वर बुद्धि सुरंगी लक्ष्मी लीला दोलत चंगी विनय विवेक विचार सुलक्षण तुज तु वर भोजन भक्षण नांम जांप जपता जगदंबा लहीए सुख अभंग पलंगा नाम अनेक अछे तुझ माई जपुं जाप सतगुरु मुख पाई १४ छंद गीता इंद्री मांहेश्वरीन ब्रहमांणी भगवति भारथि माय चंडी चामुंडाने चकेश्वरी चक्रका सुभ काय एकानुं अनेका अति सरुपा बहू रुपा तुझ माय पदमनि पदमावति पदमवासनी अप्रतिचक्र काय सावत्री सरस्वतीनें सिद्धाइ माई महिमावंत सुमुखीने समुखा मतिमा मेधा हंसागमनी संत सातस्वीन राजेस्वीने तामस्वी बलदा भाषा बाई मेधासवि मांनस्वनै मातंगी महामांनसी आई गायत्री गंगाने गंधारी गौरी कालीकाय माहाज्याला
बाला सदा सुकाला सुमुखा सुमुखी माय बहुदा बलदाई संता मनोरथ माई महिमावंत भवांनीने भगवत वत्सल
मन धरि ध्याउं मनखंति ताराने त्रिपुरा तीतल तरुणी तुलजा तुर्हि भवांनी संता
सुखदाइ तुं महिमाई तुं प्रगटा तुं छांनी
आदि ईश्वर केसर कमला अमला
आ जांणी असुरासुर किंनरवर बी (वि) द्याधर
नर देवेंद्र बखांणी बीसहथी मुझ बीनति मानौं रांनो मोरी वात
तुं इष्ट अनोपम सदा सहोपम तुंही पी (पिता तुं मात
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