Book Title: Shrutsagar 2016 08 Volume 03 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर अगस्त-२०१६ हमारी प्यारी पृथ्वी पर ऐसे परिवर्तन होना शुरू हो जायेंगे जिनको वापस ठीक करना असंभव हो जायेगा। एक और अन्य वैज्ञानिक शोध के अनुसार हमारी पृथ्वी धीरे-धीरे छठे विलोपन (extinction) की ओर बढ़ रही है। पूर्व में पृथ्वी पर पाँच मुख्य विलोपन (extinctions) हो चुके हैं। यानि ऐसा पहले पाँच बार हुआ है जब पृथ्वी पर बसनेवाली प्रजातियों की संख्या में जबरदस्त कमी हुई थी। वैज्ञानिक स्वीकार करते हैं कि पूर्व के ये विलोपन प्राकृतिक थे परंतु छठा विलोपन जिसकी ओर हम तेजी से बढ़ रहे हैं वह मुख्यरूप से मनुष्यों के क्रिया-कलापों के कारण होगा। छठे विलोपन का मुख्य कारण मनुष्यों के द्वारा वातावरण और जलवायु में परिवर्तन, जीव जन्तुओं के निवासों को नष्ट करना, बढ़ता हुआ प्रदूषण, बढ़ता हुआ मांसाहार, यातायात के साधनों द्वारा होनेवाली जीवों की हानि, विशेषकर समुद्री जीवों का मारा जाना वगैरह। ___ज्यों ज्यों औधोगिक विकास हो रहा है, पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता जा रहा है। नए नए खतरनाक हथियारों और रासायनिक हथियारों को बनाया जा रहा है जिनसे लाखों लोगों को मारा जा सके या अर्ध-विक्षिप्त किया जा सके। एक अनुमान के अनुसार, आज विश्व के सब देश मिलकर हथियारों पर इतना खर्च कर रहे हैं कि उस राशि से पूरे विश्व की गरीबी और भुखमरी मिटायी जा सकती है। ___अहिंसा एक ढंग से आर्थिक तंत्र से भी जुडी हुई है। जैसे कि अगर समाज में आर्थिकरूप से ज्यादा भेदभाव होंगे तो अहिंसा के भाव पैदा नहीं हो सकते हैं। वर्तमान में कई देशों द्वारा जो हिंसा का रास्ता अपनाया जा रहा है, उसके पीछे कहीं न कहीं आर्थिक असमानता और आर्थिक भेदभाव के कारण स्पष्ट नजर आते हैं। ___ आजकल विकास का अर्थ सिर्फ आर्थिक विकास हो गया है। जैसे कि अगर किसी देश की आर्थिक विकास की दर ६ या ७ प्रतिशत है तो कोई ये नहीं पूछता है कि उस देश के आध्यात्मिक विकास की दर क्या है ? पर ऐसा लगता है कि विश्व में ज्यों ज्यों आर्थिक विकास हो रहा है, उतना ही वातावरण प्रदूषित For Private and Personal Use Only

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