Book Title: Shrutsagar 2016 08 Volume 03 03
Author(s): Hiren K Doshi
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 28 August-2016 ग्रंथों का संपादन एवं संशोधन किया है । इस संस्था को प्रगति के पथ पर निरन्तर अग्रसर करनेवाले विद्वान् निदेशकों के नाम इस प्रकार हैं- डॉ. शांतिलाल वनमाली शेठ, डॉ. कृष्णचंद्राचार्य, डॉ. मोहनलाल मेहता, डॉ. सागरमल जैन, डॉ.भागचंद्र जैन, डॉ. माहेश्वरी प्रसाद आदि । वर्तमान में डॉ. सुगन सी. जैन के निर्देशन में यह संस्थान अकादमिक प्रगति के पथ पर अग्रसर है। इस ग्रंथमाला के अंतर्गत प्रकाशित व संपादित विशिष्ट ग्रंथों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है ऐतिहासिक कृतियाँ: जैन साहित्य का बृहद् इतिहास- पंडित दलसुखभाई मालवणिया, डॉ. मोहनलाल मेहता तथा डॉ. सागरमलजी जैन के द्वारा सम्पादित जैन साहित्य का बृहद् इतिहास जैन साहित्य के क्षेत्रमें सम्पादन व संशोधन करनेवाले विद्वानों के लिए एक महत्त्वपूर्ण व उपयोगी ग्रन्थ है। पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी द्वारा प्रकाशित इस ग्रन्थ में विशाल जैन साहित्य का सर्वांग परिचय दिया गया है। इसके प्रस्तावित आठ भागों में से अबतक सात भागों का प्रकाशन हो चुका है। इनमें निम्नलिखित विषयों का समावेश किया गया है भाग-१, अंग आगम का परिचय- इस भाग के लेखक पं. बेचरदासजी हैं। प्रस्तुत भाग में मुख्य रूप से ग्यारह अंग आगमों का परिचय दिया गया है और अन्त के तीन परिशिष्टों में बारहवें अंग दृष्टिवाद, अचेलक परंपरा तथा आगमों के संशोधन व प्रकाशन पर प्रकाश डाला गया है। भाग-२, अंग बाह्य आगम का परिचय - इस भाग के लेखक डॉ. जगदीशचंद्र जैन तथा डॉ. मोहनलाल मेहता हैं। इसमें बारह उपांगों, छः छेदसूत्रों तथा नंदी व अनुयोग दो चूलिकाओं का परिचय दिया गया है और अन्त में इन आगमों में प्रयुक्त शब्दों की अकारादि अनुक्रमणिका दी गई है। भाग-३, आगमों के व्याख्यात्मक साहित्य का परिचय- इस भाग में आगमों के टीकादि कृतियों का सर्वांगीण परिचय प्रस्तुत किया गया है। इस प्रकार भाग-1 से 3 का अध्ययन करने से पाठकों को समस्त मूल आगमों तथा उनकी निर्युक्ति, For Private and Personal Use Only

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