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मंगलवचन
डा० हरिशंकर पाण्डेय ने 'श्रीमद् भागवत की स्तुतियों का समीक्षात्मक अध्ययन' प्रस्तुत किया है। भागवत सुप्रसिद्ध ग्रन्थ है, उसमें भक्ति के अनेक रूप उपलब्ध हैं। श्री पाण्डेय ने उन्हें रसशास्त्रीय मीमांसा के साथ प्रस्तुत किया है। समीक्षा के आवश्यक तत्त्व हैं-अध्ययन, चिन्तन और मनन । प्रस्तुत प्रबन्ध में उन सबका आपात-दर्शन होता है। शोध-प्रबन्ध में यदि संकलन मात्र हो तो वह हमारी दृष्टि में उद्धरणों का पुलिन्दा हो सकता है । उसके साथ शोध शब्द को जोड़ना संगत नहीं है। प्रस्तुत प्रबन्ध में मीमांसा के तत्त्व परिस्फुट हैं, इसलिए इसे शोध-प्रबन्ध की भूमि पर प्रतिष्ठित किया जा सकता है।
२५ अक्टूबर, १९९४ अध्यात्म साधना केन्द्र, नई दिल्ली
आचार्य महाप्रज्ञ
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