Book Title: Shraman Sukt
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati Samsthan

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Page 7
________________ सयम से आत्मा को सुरिक्षत करो, नए पापो से उसे आच्छादित मत होने दो। तप से पुराने आवरण को छिन्न करो। इस तरह सयम और तप के द्वारा आत्मा के शुद्ध स्वरूप को प्रकट कर सकोगे। भगवान् महावीर ने उस समय की जन-भाषा मे उपदेश दिया। आज वह भाषा दुरूह प्रतीत होती है। श्रमण-सूक्त चयनिका मे निग्रंथ श्रमणो के मननयोग्य आचरणीय महावीर के उपदेशो का सकलन है। साथ मे सरल हिन्दी अनुवाद भी है। एक पृष्ठ पर एक ही विचार दिया गया है, जिससे उस पर पूरा ध्यान केन्द्रित हो सके और उसका सत्य सहजतया हृदयगम हो। उक्त सकलन के बाद क्रमश ३६५ सूक्त-कण समाविष्ट हैं। यह चयन दो आगमो के आधार पर है-(१) दशवैकानिक, एव (२) उत्तराध्ययन। आशा है यह चयनिका साधु-साध्वियो के स्वाध्याय और मनन के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। साथ ही उन लोगो के लिए भी जो साधु-साध्वियो के आचार-विचार और चर्या को प्रामाणिक रूप से जानना चाहते हो। कार्तिक कृष्णा १३ स २०५६ श्रीचन्द रामपुरिया

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