Book Title: Shraman Mahavira Author(s): Dulahrajmuni Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 3
________________ प्रकाशकीय 'श्रमण महावीर'-प्राचीनतम प्रमाणों के आधार पर प्रस्तुत भगवान् महावीर का यह जीवन-चरित अपने-आप में एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। अन्धकार में छिपे स्रोतों का यह विमोचन-आह्लादक ही नहीं, अनेक नये तथ्यों को उद्घाटित करता है। उन्मुक्त विचारक अमर मुनि के शब्दों में "यह भगवान महावीर का प्रथम मानवीय चित्रण है।" ___आगम, नियुक्ति, भाष्य, चणि और टीकाओं के प्रच्छन्न भ-गर्मों में छिपे बीजों का यह वृक्ष-रूप में पल्लवन एक साहसिक कदम है, जो कहीं रोष उत्पन्न कर सकता है और कहीं हर्ष। यह व्यक्ति की अपनी-अपनी मनःस्थिति का द्योतक होगा । लेखक अपने दृष्टिकोण से चला है और परम्पराओं से उन्मुक्त होकर चला है। उसने भगवान् महावीर के अन्तःस्थल को अत्यन्त सूक्ष्म रेखाओं में उपस्थित किया है, जो एक कुशल शब्द-शिल्पी द्वारा ही संभव है। ____ आचार्य तुलसी द्वारा प्रस्तुत 'भगवान् महावीर' चरित लघु और जन्यभोग्य है, वहां यह चरित विशाल और गहन है। दोनों एक-दूसरे की परिपूर्ति करते हुए चल रहे हैं। भगवान् महावीर की पचीसवीं निर्माण-शताब्दी के अवसर पर 'जैन विश्व भारती' द्वारा इस ग्रन्थ का प्रकाशन समीचीन ही नहीं कर्त्तव्य रूप भी है । आशा है मनीपी इस ग्रन्थ का गहरे पेठ कर अध्ययन करेंगे। श्रीचन्द रामपुरिया दिल्ली निदेशक आगम और साहित्य प्रकाशनPage Navigation
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