Book Title: Shobhan Stuti Vruttimala Part 02
Author(s): Rihtvardhanvijay
Publisher: Kusum Amrut Trust

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Page 12
________________ श्रीविमलजिनस्तुतयः 203 13. श्रीविमलजिनस्तुतयः / अथ श्रीविमलनाथाय प्रणामः अपापदमलं घनं शमितमानमामो हितं . नतामरसभासुरं विमलमालयाऽऽमोदितम् / अपापदमलङ्घनं शमितमानमामोहितं न तामरसभासुरं विमलमालयामोदितम् // 1 // 49 // - पृथ्वी (8, 9) (1) ज० वि०-अपापदमलमिति / वयं विमलं-विमलनामानं भगवन्तं आनमामः-प्रणमामः इति क्रियाकारकसंटङ्कः / अत्र ‘आनमामः' इति क्रियापदम् / के कर्तारः ? 'वयम्' / कं कर्मतापन्नम् ? 'विमलम्' / कथंभूतं विमलम् ? 'अपापदं' न पापं ददातीत्यपापदस्तम् / कथम् ? 'अलं' अत्यर्थम् / अथवा अपापदमलमित्यक्षतमेव विशेषणम् / तथा चायमर्थः-अपापो निष्पको यो दम-उपशमस्तं लातिआदत्ते इत्यपापदमलस्तम् / पुनः कथं० ? 'इतं' प्राप्तम् / किं कर्मतापन्नम् ? 'शं' सुखम् / शं कथंभूतम् ? 'घनं' अच्छिद्रम् / अशेषमलक्षयोत्थमित्यर्थः / पुनः कथं० विमलम् ? 'हितं' हितकारिणम् / पुनः कथं० ? ‘नतामरसभासुरं' नता-नम्रीभूता अमरसभा-देवपर्षत् असुरा-भुवनपतिदेवविशेषा यस्य, 1. 'या मोदितम्' इत्यपि पाठः /

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