Book Title: Shatrunjaya Mahatmya Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 9
________________ १५ए अनुक्रमणिका. १०६ रणसंग्राम माटे प्रजुना बन्ने पुत्रोने समजाववा माटे देवोए करेली तजवीज. २४ए १७७ बन्ने नानु थएवं वंयुक, तथा तेमां चक्रीनी श्रएली हार. १५५ १०७ जरतजी, बाहुबलिप्रते चक्रनुं फेंक. १५७ १०ए बाहुबलिजीने थएलो वैराग्य, तथा तेमणे करेलो केशोनो लोच. १५७ ११० चक्रीए करेली पोतानी निंदा, तथा बाहुबलि मुनिराजनी ___करेली स्तुति. १५० १११ बाहुबलिजीयें पूर्वे करावेलां धर्मचक्रनुं वृत्तांत. ११२ बाहुबलिजीने ब्राह्मी सुंदरीए श्रापेलो बोध. . १६१ ११३ बाहुबलिजीने थएलु केवलज्ञान, तथा तेमनुं प्रजुनी सजामां आगमन. १६२ सर्ग पांचमो. ११४ श्री युगादीशप्रजुनुं शत्रुजयप्रते श्रागमन, तथा शत्रुजयनुवर्णन. १६५ ११५पुंडरिकजीनी देशना,तथा प्रजुए तेउँने कहेलो शत्रुजयनो महिमा१६३ ११६ पुंडरिकजीए मुनि सहित शत्रुजयपर करेली संलेखना, तथा चैत्री पुनेमे तेमनो सर्वनो त्यां थएलो मोद. १७० ११७ चैत्री पुनेमनो महिमा. १७२ १९७ श्री ऋषनदेव प्रजुनु सिझार्थोद्यानमां आगमन. ११ए प्रजुनी देशना,तथा जरतजीए प्रजुपासेथी मेलवेढुं संघाधिपपणुं. १७३ १२० चक्रीतुं शत्रुजयप्रते संघसहित प्रयाण. १७५ १२१ चक्री अने शक्ति सिंहनो मेलाप. १७६ १२२ श्रीनान गणधरजीए कहेली संघपतिनी विधि. १७७ १५३ चक्रीए करेली तीर्थाधिराजनी स्तुति.. १७७ १२४ चक्रीए करेली आनंदपुरनी स्थापना. १२५ चक्री, शत्रुजय गिरिपर चड. १७० १५६ चिहण मुनि, तथा चित्रण सरोवर, वृत्तांत. १२७ शक्तिसिंहे लदमीविलास वननुं चक्रीने कहेलुं वर्णन. १२७ चक्रीए ते वनमांनाखेलो पडाव,तथा लोकोनी क्रीडा, वर्णन. १७२ १२ए सर्व तीर्थावतार कुंडनुं माहात्म्य. १७२ १०ए १०१ ... ११ १३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 340