Book Title: Shatrunjaya Mahatmya
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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अनुक्रमणिका.
१५३ नरतचीने रिसावनमां थपलुं केवलज्ञान.
२२३
१५४ सूर्ययशानुं चरित्र.
२२४
२२७
१५५ सूर्ययशाने व्रतथी चलित करवामाटे उर्वसी तथा रंजानुं आगमन. २२६ १५६ सूर्ययशा साथे ते बन्ने अप्सरार्जुनो विवाह. १५७ सूर्ययशा ते अप्सरानी करेली निलंबना. २५० सूर्ययशाने एलुं केवलज्ञान, तथा तेमनो मोक्ष.
सर्ग सातमो.
१५० द्राविड ने वालखिल्लनुं वृत्तांत, तथा तेर्ज बन्नेनुं युद्ध. १६० वर्षा तथा शरद तुनुं शृंगाररसयुक्त वर्णन. १६१ द्राविड राजाए तापसपासेथी सांजलेलो उपदेश. १६२ द्राविड तथा वाल खिल्लनुं तापसदीक्षाग्रहण. २६३ हंसनुं वृत्तांत.
२६४ प्राविड श्रादिकनं मोक्षगमन.
१६५ दंडवीर्य राजनुं वृत्तांत.
2
१२०
२३१
२४५
१६६ दंडवीर्य राजनी धर्मना निश्चलपणामाटे इंद्रे करेली परीक्षा. १४५ १६७ दंडवीर्य राजाए शत्रुंजयप्रते करेलुं प्रयाण, तथा त्यां तेमणे करेलो बीजो उद्धार.
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१३२
२३५
२३५
२४१
२४२
२४४
२४८
१६० इशानेंद्रे करेलो त्रीजो उद्धार.
२५१
१६० माहेंगें करेलो चोथो उद्धार, तथा सुहस्तिनी देवीनं वृत्तांत. २५२ १० ब्रह्मे करेलो पांचमो उद्धार.
१५३
१७१ वनेंझें करलो बsो उद्धार.
२५४
मो.
सर्ग १२ अजितनाथ प्रजुनुं तथा सगरचक्रीनुं चरित्र. १७३ अजितनाथ प्रभु तथा सगरचक्रीनो जन्म. १७४ वसंत ऋतुनुं शृंगाररसयुक्त वर्णन.
१७५ अजितनाथ प्रजुए लीवेली दीक्षा.
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२६१
१७६ सगर चक्रीने चक्ररत्लनी प्राप्ति, तथा अजितप्रभुने केवलप्राप्ति. २६२
२६४
१७७ सगर चक्रीए करेलो दिग्विजय. १७० मयूरनुं वृत्तांत.
२६५
२५५
२५६
२५
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