Book Title: Shatrunjaya Mahatmya
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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२७१
२०
अनुक्रमणिका. १७ए श्री अजितनाथ प्रनुनी देशना.
२६६ १७० वर्षा तथा शरद ऋतुनुं शृंगार सयुक्त वर्णन.
२६७ १७१ सुव्रत आचार्य- वृत्तांत.
२६० १७२ सगर चक्रीना जहुवादिक साठ हजार पुत्रोनु,श्रष्टापदप्रते गमन.श्६ए . १०३ श्रष्टापद पर्वतर्नु वर्णन.
श्६ए १४ सगर चक्रीना पुत्रोनुं अष्टापदनी श्रासपास खानु खोदकुं,
अने नागेजनुं श्राव; तथा तेणे ते ने दीधेली शिखामण. २७० १५ सगर चक्रीना पुत्रोनुं खानते गंगानुं लाव, अने नागेंडे करेलो ते सघलाउँनो दाह.
ইং १६ फुःखी थएला सगर चक्रीना सैन्यप्रते इंजनुं ब्राह्मणरूपें श्रा
व, तथा तेणे ते सैन्यने आपेली समजुती. १७ सगर चक्रीने समजावq.
| এই १७ साठ हजार पुत्रोना एकदम थएलां मृत्युथी सगरचक्रीने थएलो शोक, तथा इंडे श्रापेली तेने समजुती.
२७४ १७ए सगरचक्रीतुं अजितप्रजुप्रते गमन, प्रजुनी देशना, तथा पोता
ना ते पुत्रोनो पूर्व नवनो प्रजुपासेथी तेणे सांजलेलो वृत्तांत, २७६ रए संघपतिथक्ष, सगर चक्री- शत्रुजयपर आगमन. १ए? गंगानुं मूल प्रवाहमा वहन. १ए सगर चक्रीनुं शत्रुजयप्रते समुज्नु लावतुं.
२० रए३ सगर चक्रीए शत्रुजयादि तीर्थोनो करेलो सातमो उझार. १ए। प्रजुनो अने सगर महामुनिनो पण मोद.
श्र १ए५ व्यंतरेंजोए करेलो आठमो उझार.
२३ रए६ चंडप्रन प्रजुनु वृत्तांत, तथा चंऽयशाए करेलो नवमो उकार.२४ १ए शांतिनाथ प्रजु, तथा, सिंहदेवनुं वृत्तांत.
न्य १एज चक्रधरे करेलो दशमो उकार.
श्नए सर्ग नवमो. रएए राक्षसवंश, तथा वानरवंश, अने दशरथनुं वृत्तांत. ए६ २०० रामचंजी तथा रावण- वृत्तांत.
३०१ २०१ जाषांतरकारनी प्रशस्ति.
३२७
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